प्रेम और दुःख का गहरा नाता है. जहाँ एक आ जाय दूसरा आ ही जाता है. और इस प्रेम में भी दुःख आया... महिला होने का अभिशाप भी. आप क्या सोच रहे हैं की जरूर भारत की कहानी होगी ! लेकिन ऐसा नहीं है... ये बात है फ्रांस की.
सोफी जर्मैन फ्रांस की एक महिला गणितज्ञ थी. पर दुर्भाग्य से उनका जन्म तब हुआ था (सत्रहवी शताब्दी) जब महिलाओं को यूरोप में समान अधिकार नहीं थे. बाकी सब तो ठीक लेकिन गणित पढ़ना औरतों के लिए खासकर बुरा माना जाता था. इसे पुरुषों का काम समझा जाता था. शायद यही कारण है की महिला गणितज्ञों की इतनी कमी रही है इतिहास में.
सोफी का जन्म एक अच्छे घराने में हुआ था और बचपन में वो अपने पिता के पुस्तकालय में बैठ कर पढा करती. इसी दौरान उन्हें एक किस्सा पढने को मिला. कहते हैं की आर्कीमिडिज (Archimedes) को एक सिपाही ने उस समय मार दिया जब वो ज्यामिति की कुछ संरचनाओं में लीन थे और उन्होंने सिपाही के सवालों का उत्तर देने की जरुरत नहीं समझी. शहर पर हमला हुआ था और वो गणित में लीन थे. इस किस्से से सोफी सोच में पड़ गई की जब कोई इस विषय में इस तरह तल्लीन हो सकता है तो जरूर इसमें कोई बात होगी. और उन्होंने गणित पढ़ना चालु किया. पर समस्या तब आई जब परिवार वालों को पता चला, परिवार वालों की पूरी कोशिश रही की ये गणित न पढ़े. तब के जमाने में यूरोप में ये काम लड़कियों के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं समझा जाता था. तब लड़कियों को विश्वविद्यालयों में भी प्रवेश नहीं दिया जाता था. ख़ुद से पढ़ के भी क्या करती?
उनका गणित से प्रेम का ये आलम था की सोफी छुप कर घर के ऐसी जगहों पर गणित पढ़ा करती जहाँ कोई नहीं जाता. मोमबत्ती जला कर... फ्रांस में पड़ने वाली कड़ाके की ठंढ में भी वो जब घर के लोग सो जाते तो गणित पढ़ा करती. अपने प्यार के लिए तकलीफ सहती रही. घर वालों ने बाद में हार मान ली और परेशान करना छोड़ दिया. पर ये प्यार उन्हें इतनी आसानी से नहीं मिलने वाला था. गणित ख़ुद से पढ़ती तो ये कुछ पता नहीं होता की जो कर रही हैं सही है या ग़लत. ये भी नहीं पता होता था की जिन चीज़ों पर काम कर रही है कहीं वो पहले ही तो नहीं खोज लिए गए! ठीक उसी तरह जैसे रामानुजन, हार्डी से मिलने के पहले किया करते थे. कितना ही गणित वो ख़ुद लिख गए जिसकी खोज उस समय तक की जा चुकी थी. (रामानुजन की कहानी की तो श्रृंखला बन ही जायेगी, अभी उन पर एक और किताब पढ़ रहा हूँ. वो भी ख़त्म हो जाय तो लिखता हूँ). बिना औपचारिक शिक्षा के उन्हें कुछ पता ही नहीं था.
पर जहाँ चाह वहाँ राह ! उन्होंने एक नया तरीका निकाला... सेक्सपियर के ट्वेलव्थ नाईट की तरह उन्होंने एक ऐसे लड़के का छद्म नाम ले लिया जो पढ़ाई छोड़ चुका था, और वो उसके नाम से प्रश्न पत्रों का हल जमा कर देती. महान गणितज्ञ लैग्रंजे (Lagrange) ने जब उत्तरों को देखा तो उन्होंने सोफी को मिलने बुला भेजा और सोफी को अपना राज खोलना पडा. लैग्रंजे ने सोफी की तारीफ तो की पर फिर भी नियम के हिसाब से वो विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं ले सकती थी. इसी बीच सोफी एक और महान गणितज्ञ गॉस (Gauss) को अपने काम भेजती और गॉस पत्रों में जवाब दिया करते. यहाँ भी वो अपने छद्म नाम का ही इस्तेमाल करती. इस तरह कुछ दिनों तक चला पर ये बात भी ज्यादा दिनों तक नहीं चली. नेपोलियन ने गॉस के शहर प्रसिया (Prussia) पर हमला किया तो सोफी को बचपन वाली कहानी याद आ गई और उन्हें लगा कि कहीं आर्कीमिडिज वाली घटना गॉस के साथ भी न हो जाय. इसलिए उन्होंने अपनी एक सहेली को गॉस का ख़ास ध्यान रखने को कहा, उस सहेली ने गॉस को सब कुछ बता दिया. गॉस को बहुत आश्चर्य हुआ... की एक महिला भी गणित पर इतना अच्छा काम कर सकती है ! और उन्होंने सोफी को जो पत्र लिखा उसमें उनकी खूब प्रशंसा की. पर इस घटना के चंद दिनों बाद ही गॉस गोटिन्गेन विश्विद्यालय में खगोल शास्त्र के प्रोफेसर बन गए और गणित पर काम करना कम कर दिया और इसके साथ ही पत्र व्यवहार भी बंद हो गया.
पर समय के साथ सोफी का गणित प्रेम और संघर्ष जारी रहा... वो फ्रेंच गणित अकादमी में अपने काम को भेजती तो... काम उच्च कोटि का होते हुए भी उसमें कई छोटी-छोटी गलतियाँ होती. ऐसा अक्सर गणित में होता है पर अगर साथ में काम करने वाले होते हैं तो चर्चा और सुझाव से ये गलतियाँ हटाई जाती हैं. पर उन्हें मदद करने वाला कोई न था. फिर भी अंततः एक ऐसा समय आया जब वो अकादमी की बैठक में जाने वाली पहली ऐसी महिला बनीं जो किसी गणितज्ञ की पत्नी नहीं थी. इन सबके साथ गॉस ने उन्हें मानद डिग्री देने की सिफारिस भी की... उन्हें ये दी जाने वाली थी पर उसके पहले ही वो दुनिया छोड़ चली.
आज वो पहली महिला गणितज्ञ के रूप में जानी जाती हैं जिसने अच्छे और उपयोगी प्रमेयों की खोज की. सोफी लिखित कुछ दस्तावेजों से ये भी बात सामने आई की फ़र्मैट के प्रमेय पर उनकी सोच सही दिशा में थी. जहाँ उस समय के सारे गणितज्ञ किसी एक ख़ास अंक के लिए प्रमेय को साबित करने की कोशिश करते वहीँ सोफी ने एक विस्तृत सोच से शुरुआत की और कई सारे सिद्धांतों की मदद से पूरा प्रमेय एक साथ हल करने की कोशिश की. पर दुर्भाग्य न औपचारिक शिक्षा मिल पायी ना ही किसी गणितज्ञ का सहयोग... इतिहास के पन्नों में ऐसी कितनी ही प्रतिभाएं दफ़न हो गयीं... कारण बस यही था की वो महिला थी. नहीं तो आज उनका नाम कहीं और होता.... और पहली महिला गणितज्ञ होने के खिताब के साथ-साथ मुख्य धारा के महान गणितज्ञों में भी उनकी गिनती होती.
~Abhishek Ojha~
चित्र साभार: http://www.agnesscott.edu/lriddle/women/germain.htm
Thursday, July 31, 2008
एक महिला गणितज्ञ के गणित प्रेम की दुखद कहानी ! (बातें गणित की... भाग XI)
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बहुत सुन्दर। सोफी जर्मेन - गणित की एकलव्य, से परिचय कराने के लिये कोटिश: धन्यवाद।
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट है भाई. बधाई. गणित को लेकर इस्से पहले भी जो पोस्टे लगी उन्हें समय समय पर देखा है. किसी एक विषय को लेकर सारगर्भित काम करना अच्छी बात है. विषय की विशिष्टता भी, ्विविधताओं से भरे चिट्ठाजगत में, एक तरह की मौलिकता ही है. जारी रखिये. मजा आ रहा है.
ReplyDeleteमहिला गणितज्ञ के बारे में जानकारी देने का आभार। आपके लेख की पठनीयता गजब की है। ये लेख आने वाले समय में जस के तस छपाये जाने लायक हैं।
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteसोफी की हिम्मत और गणित प्रेम की दाद देनी पड़ेगी ..प्रेम चाहे किसी तरह भी हो जब वह होता है तो वह रास्ता बना ही लेता है मंजिल चाहे मिले न मिले ..रोचक लगी आपकी यह जानकारी
ReplyDeleteWow ...Now I will read all your posts on Mathemetics which I dread as it is among my weakest links but your writings on GANIT r simply fantastic !!
ReplyDeleteBRAVO !!
Rgds,
- Lavana
अभिषेक जी। सोफी जर्मेन की कहानी पहले से जानता हूँ। पर एक बार आप की कलम से लिखी को पढ़ कर फिर से आँखें भर आई। आज भी न जाने कितनी लड़कियों की प्रतिभाएँ इसी तरह नष्ट होती हैं, महिलाओं के प्रति इस समाज के दृष्टिकोण और व्यवहार के कारण। पर सोफी का गणित प्रेम अतुलनीय है जिस ने सभी बाधाओं को चूर्ण कर दिया। सोफी को किसी मानद डिग्री की चाह नहीं थी। अफसोस तो यह है कि यह व्यवस्था पाठ्य पुस्तकों में लालू प्रसाद और मायावती को तो पढ़ने के लिए छात्रों को बाध्य करती है लेकिन सोफी और अन्य लोगों की प्रेरणाओं को उन से वंचित रखती है। क्यों न गणित के पाठ्यक्रमों में गणित के साथ गणितज्ञों और सत्य के अन्य अन्वेषी वैज्ञानिकों के जीवन के बारे में कुछ पाठ सम्मिलित किए जाएँ।
ReplyDeleteThanks for such precious and valuable article. to know about such old and great personalities it is always like a treasure.
ReplyDeletegreat efforts
Regards
गणितज्ञ सोफी को जानकारी देने के लिए शुक्रिया अभिषेक
ReplyDeleteगणितज्ञ सोफी को जानकारी देने के लिए शुक्रिया अभिषेक
ReplyDeleteअति रोचक.
ReplyDeleteशुक्ल जी बात से सहमत हूँ.
अति पठनीय लेख हैं.
आपकी ये लेख श्रंखला अद्वितीय है.
आभार.
अभिषेक भाई.. क्या कहु गणित प्रेम दुख और नारी सब एक ही पोस्ट में समेत लिया आपने.. गणित की बाते दिल को छूती जा रही है.. बढ़िया जानकारी रही इस बार
ReplyDeleteमुफलिसी ने कितने हुनर जाया किए है....भगवान् जानता है....आपकी ये पोस्ट....मन में ढेरो सवाल छोड़ जाती है......
ReplyDeleteशुक्रिया इस जानकारी के लिए !
ReplyDeleteसोफी जर्मेन की कहानी आप की कलमे से पढ कर बहुत अच्छी लगी, कहते हे ना जब प्यार सच्चा हो तो प्रियतम मिल ही जाता हे,बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteपोस्ट अच्छी है
ReplyDeleteइतिहास के पन्नों में ऐसी कितनी ही प्रतिभाएं दफ़न हो गयीं... कारण बस यही था की वो महिला थी.
ReplyDeleteuprokt panktio se mai shatapratishat sahamat hun .aap samay samay par ganit ke bare me achchi janakari de rahe hai wah sarahaniy hai.sofi jaraman se parichay ham sab ko bantane ke liye abhaar.
वाह! गणित का हमसे हमेशा 36 का आकड़ा रहा है। इस गणित के पीछे बचपन में खूब मार खायी है। काश बचपन में गणित को इतना रोचक कर के उसे मानवीय चेहरा दे कर परोसने वाला कोई होता तो शायद हम भी कुछ गणित सीख जाते, बहुत बड़िया जानकारी
ReplyDeleteअनूप शुक्ल जी ठीक कह रहे हैं। गणित पर आपके इन लेखों के संकलन से एक पठनीय किताब बन सकती है। सोफी जर्मेन से परिचय कराने के लिए आभार।
ReplyDeletebhai nihayat alag andaaz ki baaten.nitaant alag blog.
ReplyDeleteaakar sukhad ehsaas se bhar gaya.
parichay karane ke liye dhanyawaad
ReplyDeleteNew Post :
मेरी पहली कविता...... अधूरा प्रयास
जानकारियों की प्रभावपूर्ण प्रस्तुति !
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