ओझा-उवाच पर एक वर्ष से भी ज्यादा समय में केवल ३६ पोस्ट ही कर पाया. वैसे तो कम पोस्ट होने के कई कारण है जिनमें सबसे पहला आलस और दूसरा समय की कमी. पर एक कारण ये भी था कि ऐसी कई बातें जो मैं इधर-उधर पढता रहता हूँ, उनमें कुछ बातें अच्छी लगती हैं... उन्हें मैं ओझा-उवाच पर नहीं लिख पाता था।
पर ऐसा क्यों भाई? लिखो... ब्लॉग मतलब बिंदास लिखो...
पर पता नहीं क्यों नाम ओझा-उवाच रख दिया तो बस अपनी बातें और अपने दिमाग की खलबली ही लिख पाता था... किसी और की लिखी हुई बात और ओझा-उवाच? अब क्या करें इस नाम और रंग के पीछे तो दुनिया पागल है... तो बस फिर क्या? एक नया ब्लॉग बना डाला. नाम भी मिल गया...
जैसा लिखना है वैसा ही नाम ! और भाई इस बार तो सुनीता मेनन की सलाह पर K अक्षर से ब्लॉग का नाम रखा है... अब देखना ये है कि कितने लोग आते हैं ! :-) शायद महीने में ३ पोस्ट से भी कम का जो औसत है वो भी कुछ सुधर जाए... यहाँ भी कुछ शीर्षक में भी कुछ ... अभी तक तो सबकुछ कुछ-कुछ ही है...
इस कुछ-कुछ में बहुत कुछ कहने की आस में...
आपका दोस्त
~Abhishek Ojha~
P.S.: अभी की योजनाओं के मुताबिक इस ब्लॉग पर कुछ अच्छी बातें, कुछ पुस्तकों के बारे में, कुछ लोगों के बारे में, और हाँ गणित और गणितज्ञों के बारे में आपको पढने को मिलेगा. डरिये मत मुझे पता है कि गणित बहुत बोझिल और पकाऊ होता है पर गणित से जुड़ी हुई कहानियो से ज्यादा रोचक कोई कहानी हो ही नहीं सकती... इसकी गारंटी। !
एक और स्पष्टीकरण: ओझा-उवाच अपने उसी गति से चलता रहेगा.
Wednesday, April 30, 2008
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