Tuesday, November 24, 2009

बंद भी खुला भी !

टोपोलोजी की बात शुरू होने के पहले बंद हो गयी. बात प्रस्तावना से आगे बढ़ी ही नहीं. 'शुरू होने से पहले ही बंद...? !' अब बात थी टोपोलोजी की तो ऐसा ही होना था. इससे याद आया एक उदहारण जो उस किताब में है जिसने हमारा और टोपोलोजी का पहला परिचय कराया. जेम्स मुन्क्रेस की किताब 'टोपोलोजी'.Topology Munkres टेक्स्टबुक के रूप में शायद दुनिया के सभी बड़े स्कूलों में उपयोग की जाती है. उदहारण कुछ ऐसा है... एक समुच्चय (सेट) और दरवाजे में फर्क ये है कि दरवाजा एक समय पर या तो खुला रह सकता है या बंद... पर एक समुच्चय खुला (ओपन सेट) भी हो सकता है बंद (क्लोज सेट) भी, और खुला और बंद दोनों हो सकता है ! पहली बार पढ़ा था तो मजा तो आया था. साथ में ये भी लगा था ससुर समुच्चय ना हुआ अजूबा हो गया. वैसे टोपोलोजी अजूबा ही है [बस समझ में आना चाहिए, मुझे बहुत ज्यादा नहीं आता :) एक ईमानदार स्टेटमेंट दे रहा हूँ. अब इंसान एक समय पर ईमानदार और बेईमान दोनों तो नहीं हो सकता !]

टोपोलोजी गणित कि नयी शाखाओं में से है. करीब ९० साल पहले इसे गणित की एक स्वतंत्र शाखा के रूप में पहचान मिली तो इससे जुड़े लगभग सारे महत्तवपूर्ण सिद्धांत पिछले ५० सालों में दिए गए. पर शुरुआत तो कोनिग्स्बर्ग के पुलों वाले सवाल से ही मानी जाती है जिसका  हल अठारहवी सदी में हुआ. इस सवाल की चर्चा अगली पोस्ट में. टोपोलोजी को गणित की कई पुरानी मान्यताओं में क्रातिकारी परिवर्तन लाने के लिए जाना जाता है. और और गणित को सिर्फ 'अंको की भाषा' वाली परिभाषा से बाहर लाकर खड़ा करने में में तो सबसे ज्यादा योगदान टोपोलोजी का ही है. शुरुआत में यह गणित की कुछ शाखाओं से सम्बंधित था और अक्सर इसे ज्यामिति की शाखा समझ लिया जाता था. पर अब स्वतंत्र रूप से टोपोलोजी ने गणित की सभी शाखाओं के अलावा विज्ञान की कई शाखाओं को प्रभावित किया है. मोटे तौर पर टोपोलोजी एक ज्यामितीय 'सोच' है. जिसमें कई वस्तुओँ के सामूहिक ज्यामितीय गुणों का अध्ययन किया जाता है. यह गणित की एक क्वांटीटेटिव  ना होकर क्वालिटेटिव (किसी भी वस्तु के गुण के बारे में अध्ययन से सम्बंधित) शाखा है. इसे इस तरह समझा जा सकता है... इसमें किसी सवाल को हल करने की जगह उसके गुणों का अध्ययन किया जाता है. हल करने की जगह ये देखा जाता है कि हल संभव भी है या नहीं. गणित की कई शाखाओं को एक सूत्र में जोड़ने का श्रेय टोपोलोजी को जाता है. एक ऐसी विचारधारा का विकास जिस पर गणित के कई सिद्धांत आधारित हैं. एक प्रयास जो गणित के अब तक विकसित सिद्धांतों को एक सोच के अन्दर समेट सके.

टोपोलोजी शुद्ध गणित की एक प्रतिष्ठित शाखा है. जिसमें स्वयंसिद्ध परिभाषित किये जाते हैं फिर उनका इस्तेमाल कर प्रमेय, फिर उन्हें साबित किया जाता है. 'किसी भी वस्तु से सम्बंधित सवालों के बारे में एक गुण को लेकर उसे सही या गलत साबित करना' इसी अवधारणा पर टोपोलोजी का विकास हुआ. पहले ऐसे कई सवाल हुआ करते थे जिन्हें हल करने के लिए लोग सदियों तक लगे रहे, बिना ये सोचे कि हल संभव भी है या नहीं ! टोपोलोजी की मदद से ऐसे कई Tropic of Cancerसवाल सहज हुए. कई सवालों के लिए यह साबित किया गया कि इनका हल संभव ही नहीं है तो कई अन्य के लिए ये कि ऐसे कई सवालों का हल एक ही है और इनमें से किसी एक को भी हल किया गया तो सारे हल  हो जायेंगे. टोपोलोजी में मात्रा या परिमाण(क्वांटिटी) मायने नहीं रखते पर उनके गुण मायने रखते हैं.  जैसे पुणे और दिल्ली के बीच में कहीं से कर्क रेखा गुजरती है या नहीं ऐसे सवालों के जवाब टोपोलोजी के दायरे में आयेंगे. कहाँ से गुजरती है ये टोपोलोजी के लिए मायने नहीं रखता.
काश जिंदगी और मानवीय सोच भी गणित की तरह होते और उन्हें एक सूत्र में पिरोया जा सकता ! टोपोलोजी जैसे गणित ज्यादा पढने वाले शायद यही सब सोच कर फिलोस्फर (पागल?) हो जाते हैं.

बस आज के लिए इतना ही अब ये श्रृंखला चालु कर दी है तो ख़त्म भी करूँगा ही. कब और कितने दिनों के अन्तराल पर पोस्ट करूँगा ये मायने नहीं रखता :)

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~Abhishek Ojha~