Tuesday, July 29, 2008

एंड्र्यू वाइल्स, फील्ड्स मेडल और एक महिला गणितज्ञ (बातें गणित की... भाग X)

पिछले पोस्ट में हमने देखा की किस तरह एंड्र्यू वाइल्स ने सात सालों की कठिन मेहनत के बाद एक बड़ा सा हल निकाला. ये उस सवाल का हल था जिसे हल करने की कोशिश अब तक के सबसे महान गणितज्ञ कर चुके थे. एंड्र्यू वाइल्स ने कितनी मेहनत की थी इसका अंदाजा तो आप पिछले पोस्ट पर उनकी तस्वीर देखकर ही लगा सकते हैं. एंड्र्यू वाइल्स ने गणित का महानतम सवाल हल किया और एक सवाल के हल ने उन्हें महान गणितज्ञों की श्रेणी में ला खड़ा किया. पर गॉस, ओय्लर जैसे गणितज्ञ क्या इनसे कमजोर थे? ऐसे सवाल तो उठने ही नहीं चाहिए पर लोग उठाते हैं. और मेरे जैसे जो गॉस की विद्वता के घोर प्रसंशक हैं वो यही कहते हैं कि न तो गॉस ने सात साल तक इस सवाल पर काम किया और ना ही तब गणित इतना विकसित था. हाँ ये बात और है की अगर गॉस ने ७ सालों तक इस सवाल पर काम कर दिया होता तो आज नंबर थियोरी की कई शाखाएं होती. गॉस की विद्वता तो आगे कई पोस्ट में आएगी ही. पर एंड्र्यू वाइल्स की विद्वता भी अतुलनीय है और ऐसे विवाद सही में कोई मायने नहीं रखते. एंड्र्यू वाइल्स अपने गणित के अनुभव के बारे में कहते हैं:

अगर मुझे गणित पर अपने अनुभव के वर्णन करने को कहा जाय तो शायद मैं कहूं की यह एक अंधेरे कमरे में प्रवेश करने की तरह है, पहला कमरा... अंधकारमय, बिल्कुल अंधकारमय. इधर-उधर भटकना, उछलना और फिर धीरे-धीरे पता चलने लगता है की कहाँ कौन सा फर्नीचर है. और फिर अंततः ६ महीने या ऐसे ही कुछ समय पश्चात पता चलता है की स्विच किधर है, उसे दबा देना और फिर सबकुछ जगमगा उठता है... तब सब कुछ दिखने लगता है और ये पता चलता है कि मैं कहाँ हूँ ! -- एंड्र्यू वाइल्स बीबीसी की एक डॉक्युमेंट्री के प्रारम्भ में.

हर चार साल पर दिया जाने वाला फील्ड्स मेडल गणित के क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है. तो फिर एंड्र्यू वाइल्स को निर्विवाद रूप से मिल जाना चाहिए. पर फील्ड्स मेडल में एक शर्त होती है की पुरस्कार मिलने वाले साल तक गणितज्ञ की आयु ४० से ज्यादा नहीं होनी चाहिए ! एंड्र्यू वाइल्स का जन्म १९५३ में हुआ था और उस हिसाब से १९९४ में वो एक साल ज्यादा के हो गए थे. नियम तो फिर नियम ही है तो उन्हें ये पुरस्कार नहीं दिया गया*. पर फील्ड्स मेडल की समिति ने उन्हें पुरस्कृत करना ही उचित समझा और १९९८ में उन्हें अलग से एक विशेष रजत-फलक दिया गया. फील्ड्स मेडल पर महान गणितज्ञ आर्कीमिडिस की तस्वीर होती है. ४० साल से कम क्यों? इसकी एक आम धारणा ये है की गणितज्ञ अपनी मौलिक सोच (Original ideas) ४० के पहले ही सोचते हैं इसके बाद वो गणित पर बस काम करते हैं खोज तो कम उम्र में ही होती है. इस चालीस साल की बात से याद आया जी एच हार्डी की ये बात जो उन्होंने अपनी पुस्तक 'A Mathematician's Apology' में लिखी है.**
"किसी भी गणितज्ञ को ये नहीं भूलना चाहिए की गणित युवा लोगों का खेल है. इसका सबसे आसान उदहारण यही है की रोयल सोसाइटी में गणितज्ञों की औसत उम्र सबसे कम है. और भी कई उदहारण लिए जा सकते हैं न्यूटन ने ५० की उम्र में गणित छोड़ दिया. वे मानते थे की ४० वर्ष की उम्र के साथ ही उनकी मौलिक रचनात्मकता के महानतम दिन ख़त्म हो गए...
...गैल्वास की मृत्यु २१ साल की उम्र में हो गई. रामानुजन ३३ में और रीमान ४० की उम्र में चल बसे. कुछ लोगों ने इस उम्र के बाद भी काम किया है जैसे की गॉस ने डिफेरेंसिअल जियोमेट्री तब लिखी जब वो ५० साल के थे, लेकिन इसका विचार उन्हें १० साल पहले ही आ गया था. मेरी नज़र में कोई बड़ी गणितीय खोज ४० की उम्र के बाद किसी ने नहीं की. और अगर किसी की इस उम्र के बाद गणित गणित में रूचि कम हो जाती है तो इससे न तो उसकी न गणित की ही कोई क्षति होने वाली है." --जी एच हार्डी


कई गणितज्ञों ने फ़र्मैट के अन्तिम प्रमेय पर काम किया ये तो हम देख ही चुके है पर अगर इस महिला गणितज्ञ की चर्चा न हो तो शायद श्रृंखला अधूरी रह जाय. पोस्ट लम्बी हो रही है इसलिए आगे नहीं लिखूंगा बस इतना बताता चलूँ की इस महान गणितज्ञ को महिला होने का खामियाजा भुगतना पड़ा. नहीं तो आज इतिहास में कहीं और ज्यादा नाम होता... फ़र्मैट के अन्तिम प्रमेय पर सही तरीके से सोचने वाले बहुत कम लोगों में वो एक थी. उस संघर्ष, दुःख और गणित से प्यार की कहानी अगले पोस्ट में.



चित्र: साभार, विकिपीडिया
*ऐसे पुरस्कारों के साथ ऐसी कहानियाँ तो होती ही है... शायद नोबेल पुरस्कार की सबसे बड़ी कमी हमेशा के लिए ये रह जाय की गांधीजी को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला. गांधीजी ऐसे किसी पुरस्कार के मोहताज तो न थे... पर ये मलाल शायद नोबेल समिति को रहे. इस बारे में अगर रूचि हो तो नोबेल पुरस्कार की आधिकारिक वेबसाइट पर इस लिंक पर पढ़ आए.
**पुस्तक की सॉफ्ट कॉपी पास में होने का यह एक बहुत बड़ा फायदा है... जब जिस पैराग्राफ की जरुरत हो खोल के सर्च कर लो.

13 comments:

  1. फील्ड्स मेडल और आयु सीमा की वजह से वाइल्स को न मिल पाना आदि रोचक जानकारी रही, आभार.

    ReplyDelete
  2. पर फील्ड्स मेडल में एक शर्त होती है की पुरस्कार मिलने वाले साल तक गणितज्ञ की आयु ४० से ज्यादा नहीं होनी चाहिए !

    यह जरूर था कि इस जन्म में हम आगे कुछ करने वाले नहीं थे; पर इस प्रकटन ने जाने क्यों दुखी कर दिया! समय व्यर्थ गंवाने के अहसास दे कर!

    ReplyDelete
  3. पूरा पढ़ गये जी। बिना रुके। काफी अच्छी जानकारी मिली। ...ये बात अलग है कि मेरे लिए थोड़ी गरिष्ट है इसलिए कोई टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हूँ। बस अच्छा लगा।

    ReplyDelete
  4. वैसे तो महान बनने की कोई उम्र सीमा नही है लेकिन वो कहते हैं ना की पूत के पाँव पालने में ही दिखाई देने लगते हैं.... महान लोग ३० से ३५ की उम्र में महान बन जाते हैं... अपवाद हर जगह हैं लेकिन बहुतायत ऐसा ही मिलेगा.... उपयोगी जानकारी के लिए अभिषेक बाबू को बधाई

    ReplyDelete
  5. चालीस वाला ये नियम क्या गणित की दुनिया के बाहर भी यथावत लागू होता है?

    ReplyDelete
  6. गणित से डर लगता है. अभी भी. लेकिन आपकी पोस्ट एक बार में पूरा पढ़ गया. शायद इसलिए कि यहाँ कोई सवाल नहीं हल करने के लिए.

    ReplyDelete
  7. मेने भी पुरी पोस्ट पढी,अब कया सवाल करे,फील्ड्स मेडल मे यह शर्त क्यो होती हे कि गणितज्ञ की आयु ४० से ज्यादा क्यो ना हो, क्या उस के बाद उस का ग्याण कम हो जाता हे ??
    धन्यवाद अच्छी जान कारी देने के लिये

    ReplyDelete
  8. बहुत ही रोचक जानकारी के लिए धन्यवाद.

    ReplyDelete
  9. jankari ke liye aabhar. jari rhe.

    ReplyDelete
  10. फर्मेट के अंतिम प्रमेय पर सही तरीके से सोचनेवाली महिला गणितज्ञ के संघर्ष, दु:ख और गणित से प्‍यार की बातों का इंतजार है।

    ReplyDelete
  11. रोचक जानकारी है। चालीस साल के बाद भले ही कोई नई खोज न कर पाये लेकिन लोगों को नई खोज के लिये प्रेरित तो किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  12. GANIT KO JIS DHANG SE AAPANE BATAYA HAE KABILE TARIF HAE

    ReplyDelete
  13. इसांन के अदंर हर सोच का प्रश्न गणित कहा जाता है

    ReplyDelete