चित्रकारी की बात हो तो दिमाग में विन्ची का नाम शायद सबसे पहले दो-तीन नामों में से आ जाय और अगर मोनालिसा का नाम इसमें सबसे पहले आए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। विन्ची की कलाकृतियों में तो हजारों चीज़ें ढूंढ़ ली जाती हैं तो फिर सुनहरा अनुपात ढूँढना कौन सी बड़ी बात है। वर्चुवियन मैन में इस अनुपात की उपस्थिति तो हम देख ही चुके हैं... आज कुछ और चित्रों पर गौर करें: (भला हो इन्टरनेट का सारे चित्र सर्च किए हुए हैं)।
अब अगर लियोनार्दो दा विन्ची के सहयोगी लुका पसिओली (Luca Pacioli)
ने अगर कह दिया 'बिना गणित के कोई कला नहीं' तो क्या ग़लत कहा ! लियोनार्दो के अलावा भी हजारों पेंटिंग में ये अनुपात देखने को मिलता है। अब ये पेंटिंग देखिये कैसे फिट बैठ जाती है सुनहरे आयत में. विन्ची की 'लास्ट सपर' तो आपने सुनी ही होगी... इसके तो छोटे-छोटे हिस्से को मैग्निफाई करके देखने पर भी ये अनुपात मिल जाता है। पूरे चित्र का वर्गीकरण ही देख लीजिये।
शरीर के विभिन्न हिस्सों के अनुपात के रूम में देखा जाना भी शायद एक कारण रहा की चित्रकारों ने इसी अनुपात में पेंटिंग के चरित्रों की बनाया। अब माइकल एंजेलो की प्रसिद्द मूर्ति डेविड को देख लेते हैं: कमाल की बात ये है की डेविड के ये अनुपात विन्ची के वर्चुवियन मैन से एकदम मिलते हैं। वर्चुवियन मैन और आदर्श मानव चेहरे आप पिछली एक पोस्ट में यहाँ देख सकते हैं।
अब नए जमाने में एंड्र्यू रोजेर्स की ये कलाकृति भी देख लीजिये इसका नाम ही 'सुनहरा अनुपात' है, पत्थर और सोने से बनी ये कलाकृति जेरुसलम में स्थित है जो फिबोनाच्ची क्रम पर आधारित है। (एंड्र्यू रोजर्स बड़ी रोचक कलाकृतियाँ बनाते रहे हैं, आप उनके लिंक पर जाकर देख सकते हैं।)
अगले पोस्ट में कुछ स्थापत्य कला के नमूने देखते हैं... अब स्थापत्य कला हो और सुनहरा अनुपात तो पिरामिड भी आना ही चाहिए !
~Abhishek Ojha~
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बहुत रोचक पोस्ट है और दिलचस्प जानकारॊ. आगे इन्तजार है, आभार.
ReplyDeleteअनुपात जानने से काश हम भी पेंटिंग बना पाते। :)
ReplyDeleteमुझे यह अनुपात नैसर्गिक लगता है। यहाँ पहुँचने का रास्ता भी दुतरफा है। बिना गणित को जाने भी लोग कला के अभ्यास से इस अनुपात को पा लेते हैं। उन का मस्तिष्क और हाथ इस का अभ्यासी हो जाते हैं। जैसे हमारी उंगलियां टाइप करने वाली कुंजियों की हो जाती है।
ReplyDeleteअनूप जी इस के अभ्यासी हैं, वे जब कविता या गद्य लिखते हैं तो यह अनुपात स्वतः ही आ जाता है। वे कोशिश करें तो पेंटिंग में भी आ जाएगा। करें तो?
यहाँ तो बड़ा मजेदार विषय चल रहा है जी। अपनी ब्लॉगरी में नये प्रयोगों के चक्कर में यह छूटा ही जा रहा था। ...आज ही पिछली तीनो पोस्टें पढ़ डाली मैने। वाह मजा आ गया।
ReplyDeleteयह बताइये कि कम्प्यूटर के ‘पेण्ट’ में जाकर सुनहरे अनुपात का आयत बनाने के लिए हमें क्या करना होगा?
...सोचता हूँ आगे से सभी चित्रकारी इसी अनुपात में करूँ। विन्ची साहब से कहीँ तो बराबरी हो जाएगी:)
"wow, this is something very interetsing to know"
ReplyDeleteRegards
बाई जोव! मैं पिकासो के एक रेखांकन की नकल करने का प्रयास कर रहा था - काफी पहले की बात है। और मुझे लगा था कि सारा खेल आड़ी तिरछी खींचने का नहीं, एक सधे अनुपात का है!
ReplyDeleteवही आप भी कह रहे हैं!
रोचक लगा इस नजरिये से यह सब जानना ...शुक्रिया
ReplyDeletevery very interesting jaankari...ekdam alag hat kar...bahut achha laga..
ReplyDeleteAbhishek ji bhut achhi jankari di hai aapne.
ReplyDeleteये तो मुझे पता था की चित्र बनाने में मैथ्स एप्लाई होता है लेकिन आपने बाकायदा रेखांकन करके बताया....बहुत अच्छा लगा!
ReplyDeleteअभिषेक ...गणित ओर चित्रकारी का अदभूत संयोग .पहली बार पढ़ा...
ReplyDelete'द विन्ची कोड' फिल्म में इन तस्वीरों को देखकर उनके काल्पनिक आयाम से परिचित हुआ था, आज उसके गणितीय अनुपात से। कभी स्केच बनाने की प्रक्रिया में भी हमें यह गणितीय अनुपात समझाया जाता था, (और समझ गया होता तो चित्रकार बन गया होता)पर आपने यहॉं काफी उम्दा उदाहरण पेश किए। समझ गया कि अब चित्रकारी का ख्याल मन में ही दफन कर देना चाहिए।
ReplyDeleteमेथ्स का ये ऐन्गल बहुत रोचक लगा :)
ReplyDelete- लावण्या
आपका कहना बिलकुल सही है। अनुपात का ध्यान रखे बिना चित्र, मूर्ति अथवा स्थापत्य का निर्माण संभव नहीं। गणित के संदर्भ में मोनालिसा, लास्ट सपर व डेविड जैसी अमर कलाकृतियों की चर्चा बहुत अच्छी लगी।
ReplyDeleteधन्यवाद ऎक बहुत ही अच्छी जानकारी के लिये, आप ने हमारे सालो के सोये दिमाग को फ़िर से सोचने पर लगा दिया.
ReplyDeleteबेहतरीन कमाल का लेख और मौलिक सोच के लिए बधाई अभिषेक .......
ReplyDeleteशुभकामनायें