कल ये ख़बर पढ़ी तो तुलसी बाबा की ये चौपाई दिमाग में आई:
मैं देखउँ तुम्ह नाहीं गीधहि दृष्टि अपार । बूढ़ भयउँ न त करतेउँ कछुक सहाय तुम्हार ॥
सीआईए और ऍफ़बीआई ओसामा बिन लादेन को ढूंढ़ के थक गई, और इन भूगोल के प्रोफेसरों ने झट से बता दिया की ओसामा कहाँ है ! वैसे ये चौपाई तो बिल्कुल सटीक बैठती है इस मामले पर. प्रोफेसरों ने कह दिया: 'भाई आप तो नहीं देख सकते पर हमारे शोध की दृष्टि अपार है, हमने तो बता दिया ओसामा कहाँ है. हम तो प्रोफेसर बन गए नहीं तो आपकी कुछ और मदद करते'. अब रामायण में संपाति भी कोई ऐसे भौगोलिक गणितीय मॉडल लगाए होंगे तो अपने को नहीं पता. ये बात क्लियर करना तुलसी बाबा भूल गए और सीधे लिख गए 'गीधहि दृष्टि अपार' अब गीध->गिद्ध .... ->शोध तक जा पाता है या नहीं ये तो अजितजी ही बता सकते हैं. खैर जहाँ तक सीआईए के थकने की बात है तो जब तक सीआईए थक नहीं जाती तब तक ये प्रोफेसर बताने वाले भी नहीं थे. आख़िर प्रोफेसर हैं भाई... प्रोफ़ेसर तो काम ही तब करते हैं जब सब कुछ ख़त्म हो जाता है !
अब वित्त में ही देख लीजिये मंदी आ जाने तक अर्थशास्त्री कुछ नहीं कहते. वास्तव में तो अक्सर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्रियों के शोध का पालन करने पर ही तो घोर मंदी आती है. लेकिन मजे की बात ये है कि एक बार घोर मंदी आ जाय तो बस यह बात साबित करने के लिए ही कि मंदी आ गयी है ये सैकड़ों शोध छाप डालते हैं. और उसके बाद तो मंदी के हजारों कारण और उपाय पर छपने वाले सहस्त्रों शोधों में से ही किसी न किसी को नोबेल मिलना तय हो जाता है. मुझे तो आश्चर्य हुआ कि ओसामा को पकड़े जाने के पहले ही ऐसा शोध आ कैसे गया ! अब समय से पहले आ गया है तो काम का शायद ही होगा :-)*
लॉस अन्जेलिस स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गिलेस्पी साहब की टीम ने जीव-जंतुओं के एक से दुसरे जगह जाने की प्रक्रिया के हिसाब से गणितीय मॉडल बनाए और फिर ओसामा बिन लादेन की मूलभूत जरूरतों और उसकी पिछली रहने की ज्ञात जगह को आधार बनाकर ये निष्कर्ष निकाला की ओसामा अभी कहाँ हो सकता है. भविष्य में मॉडल को खुफिया एजेंसियों से प्राप्त सूचना के आधार पर परिष्कृत भी किया जा सकेगा. इस शोध से पता लगा कि पाकिस्तान के पाराचिनार में ओसामा के होने की सम्भावना बनती है. और जब ओसामा के कद की लम्बाई, उसके रहने के आस-पास छुपने की जगह होनी चाहिए, कुछ सुविधायें जैसे बिजली और एक से ज्यादा घर भी होने चाहिए जैसे कारकों को ध्यान में रखा गया तो अंततः उपग्रह से प्राप्त चित्र में तीन घर ऐसे दिखे जिनमें ओसामा के होने की संभावना ज्यादा लगती है.
इस पुरे शोध में इस्तेमाल हुए कुछ सिद्धांत इस प्रकार हैं:
- दुरी क्षय सिद्धांत (Distance Decay Theory) के अनुसार अगर किस जीव के रहने की एक ज्ञात जगह से चला जाय तो उस जीव के पाये जाने की सम्भावना (प्रायिकता) दूरी के साथ कम होती जाती है और उस प्रजाति के जीवो की संख्या चरघातांकीय (Exponential) गति से कम होती जाती है.
- द्वीप जैविकभूगोल (Theory of Island Biogeography) का सिद्धांत कहता है: छोटे और पृथक द्वीपों की तुलना में बड़े और पास के द्वीपों में प्रवास की दर और जीवों का पोषण निम्न विलोपन दर (lower extinction rate) के साथ होता है.
- इनके अलावा ओसामा के जीवन से सम्बंधित कई बातें भी इस्तेमाल की गई जैसे उसकी लम्बाई, वह एकांत पसंद करता है, उसे डायलिसिस के लिए बिजली की जरुरत होती है इत्यादि.
शोध के अनुसार ओसामा जहाँ पहले देखा गया था उससे मिलती-जुलती (प्राकृतिक और सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनितिक) जगह पर ही होगा. क्योंकि अगर वह ‘ज्यादा सेकुलर पाकिस्तानी हिस्से’ की तरफ़ या भारत की तरफ़ बढ़ता है तो उत्तरोतर सांस्कृतिक परिवर्तन होते रहने के कारण उसके पकड़ लिए जाने या मार दिए जाने की संभावना बढ़ जाती है. इसी प्रकार लादेन के किसी बड़े कस्बे में होने की सम्भावना ज्यादा है जहाँ मानव जाति का विलोपन दर कम हो ! और इन सबके साथ उसकी मूलभूत सरंचना और जरूरतों को मिला दिया जाय तो उसके रहने का ठिकाना ढूँढना आसन हो जाता है.
एम्आईटी इंटरनेशनल रिव्यू में छपे पुरे शोध के लिए यहाँ जाएँ. इसी शोधपत्र से ली गई कुछ तस्वीरें:
और ये हैं वो तीन जगहें जहाँ ओसामा के होने की सम्भावना है: उनकी भौगोलिक स्थिति क्रमशः N 33.901944° E 70.093746°, N 33.911694° E 70.0959° और N 33.888207° E 70.113308° है. तो फिर हमने बता दिया आप निकल लीजिये. अभी भी मौका है और ५ करोड़ डॉलर का इनाम है, बाद में मत कहियेगा कि मैंने बताया ही नहीं :-)
--- कई बार ओसामा टाइप करते हुए ओबामा टाइप हो गया. एक 'एस' की जगह 'बी' हो जाने से कई बार बिलांडर होते-होते रह गया ! मुझे नींद आ रही है मैं चला सोने… आप कीजिये पैकिंग. और अगर आपको ५ करोड़ डॉलर मिल गए तो मेरे हिस्से का देने मत भूलियेगा !---
~Abhishek Ojha~
*[मैं प्रोफेसर समाज का मजाक नहीं उड़ा रहा. पीएचडी करने का तो अपना मन कुलबुलाता रहता है पर आजकल ऐसे कई कारण इस विचार से दूर कर रहे हैं. खैर वित्त में तो ऐसा ही होता है... हर बड़े मार्केट क्रैश के बाद सबसे ज्यादा शोध होता है].
महीनों बाद अपडेट: अंतत ओसामा इसी परिधि में मिला. और जो महीनों पहले मैंने टाइप करने की बात की वो गलती फोक्स न्यूज़ के साथ-साथ कई औरों ने भी किया :)
खैर वित्त में तो ऐसा ही होता है... हर बड़े मार्केट क्रैश के बाद सबसे ज्यादा शोध होता है. हा हा१!!
ReplyDelete-आप सोईये, हम पैकिंग करके निकलता हूँ.
वाह क्या सर्च और क्या आँकडे दिये ..आपने अभिषेक भाई ..आप तो सो गये और ओबामा अरे सोरी
ReplyDeleteओसामा को पकडने के लिये यहाम से बडा भारी बस्ता निकलने की आगाही आ रही है - How many millions did U say ? lemme make sure ..LOL
हम मसिजिवी के यहाँ ये कमेंट छोड़ के आये थे कि आप कुछ ज्यादा डिटेल में बताये और वो यहाँ आप पहले ही कर चुके।
ReplyDeleteosama kaha hai ye to america jane, lekin ab pakistan par bhi isi bahane apni pakar aur jaroor barha lega.
ReplyDeleteइनके अलावा ओसामा के जीवन से सम्बंधित कई बातें भी इस्तेमाल की गई जैसे उसकी लम्बाई, वह एकांत पसंद करता है, उसे डायलिसिस के लिए बिजली की जरुरत होती है इत्यादि.
ReplyDelete" हमे तो ओसामा से सम्बन्धित ये जानकारियां बहुत रोचक लगी......एक अजीब सी उत्सुकता सी बड़ती जाती है पढ़ते हुए....."
Regards
रोचक पोस्ट्।ओसामा और ओबामा के बीच का मामुली अंतर,क्या बारीक नज़र रखी है आपने।
ReplyDeleteओसामा वहाँ रहा भी होगा तो अब तक निकल लिया होगा। यह पता करना भी असंभव कि वह वहाँ था भी या नहीं।
ReplyDeleteऐसे शोध का कोई यथार्थ महत्व रहा भी हो तो भी व्यर्थ ही हुआ।
मंदी की कोई घोषणा क्यों करे? सब जानते हैं वह आती है, आती रहेगी। जब तक कि पूंजीवाद सामाजिक रूप से नियंत्रित नहीं हो जाता। यह अवश्यंभावी है यदि मानव जाति के भविष्य को बचाना है।
दो अलग अलग जगहों पर बैठे लोगों के दिमाग में एक ही तरह के विचारों के पेदा होने की भी कोई गणितीय व्याख्या हो सकती है क्या.. वरना ये कैसे हुआ कि जिस समय आप ये लिख रहे थे तब हम ये लिख रहे थे ... हम पोस्ट शेडृयूल करके सोने गए सुबह देखते हैं कि आप हमारी मांग पूरी कर भी चुके हैं।
ReplyDeleteएक आध शोध तो इस शोध पर हो जाए.. मज़ा आ जाएगा.. आज क़ी पोस्ट तो कमाल थी.. ओसामा को हमने लिंक भेज दिया है..
ReplyDeleteगत्यात्मक ज्योग्राफी जैसा लग रहा है। मैं बहुत प्रभावित हूं इस अध्ययन से।
ReplyDeleteबाकी, केलिफोर्निया विश्वविद्यालय का शोध है तो दम होगा ही।
कोई आश्चर्य नहीं कि ओबामा यह जानकर अफगान बार्डर पर अमरीकी सैनिक बढ़ा दें।
वाह क्या सर्च और क्या आँकडे दिये ..आपने ।बहुत रोचक पोस्ट लगी।
ReplyDeleteवाह क्या शास्त्रीय विवेचन मारा है गुरू -खबर तो मैंने भी पढी थी मगर जो भाष्य आपने किया है और जिस तरह किया है की मन बाग़ बाग़ हो गया है -ऐसा करें पी एच डी इसी टापिक पर ठोक दें -यह सिनाप्सिस तो ही ही गयी !
ReplyDeleteआप क्या सोये ओबामा भी निकल लिए ,बोले पहले ही भारतीयों के आने पे पाबन्दी लगाई है .ओसामा को पकड़ लेगे तो अपनी किरकिरी हो जायेगी वैसे ....किसी ने गलती से ओसामा को भी आपका लिंक भेज दिया है....जय राम जी की.
ReplyDeleteअरे क्या जोड़ तोड़ के आंकडे बताए हैं आपने अभिषेक ..सिर घूम गया :) मुझे तो ओबामा ओसामा का यही हाल लगा कि "छोटी सी यह दुनिया पहचाने रास्ते हैं कहीं तो मिलोगे कभी तो मिलोगे तो पूछेंगे हाल ...."
ReplyDeleteअरे भाई यह ओसामा बेबकुफ़ नही जो ऎसी बातो मै आ कर कोई ऎसी गलत हरकत कर दे जो उस की जिन्दगी की आखरी गलती हॊ, बहुत सयाना है, ओर हर चाल समझता है इन अमेरिकियो की, सभी का अपना अपना गंणित है भाई...
ReplyDeleteधन्यवद इस सुंदर लेख के लिये
ओह अभिषेक इतनी भारी भरकम पोस्ट लिख दी कि हमारे सिर के ऊपर से चली गई । बुरा मत मानना पूरी पोस्ट मे हमें तो ओसामा और ओबामा के नाम का फर्क ही ज्यादा समझ आया ।
ReplyDeleteवाह अभिषेक जी वाह.....आपकी आज की पोस्ट पर तो वाकई बेहद मजा ही आ गया ......इतना चुटीला व्यंग्य लिख मारा है की अच्छे अच्छे व्यंकारों की नानी अभी-अभी मर गर गई.....!!हा..हा..हा..हा..हा..मेरी नानी तो कब की मर चुकीं.....!!
ReplyDeleteएक बात तो तय है की ओसामा के पास इन वैज्ञानिकों से ज़्यादा दिमाग है. वरना कब का पकड़ लिया गया होता.
ReplyDeleteअरे लानत भेजिये । ये सब िनाम ुनाम अपनेको नही मिलते ।
ReplyDeleteमहीनों बाद लौटा हूँ .आज आपकी पुरानी पोस्ट देख रहाहूँ .आपने तो वास्तव में गंभीर शोध कर दिया है ,वैसे जहाँ तक आपके रिसर्च की बात है मेरे विस्वविद्यालय में आपका स्वागत है .
ReplyDelete@मा पलायनम !
ReplyDeleteधन्यवाद मनोजजी. अगर रिसर्च करना हुआ तो जरूर आपसे संपर्क करूँगा.
वाह !यह तो बड़ा ही कठिन विवेचन हैं ,शोधार्थी भी क्या क्या शोध करते हैं ,मैं तो सोच भी नहीं सकती थी की ओसामा के रहने के स्थान को ढूंढ़ निकलने के लिए ऐसा भी कोई शोध किया जा सकता हैं .आपकी पोस्ट बड़ी रोचक रही .
ReplyDeleteइतना दिमाग अगर ओसामा को खोजने में लगता, तो शायद वह अब तक पकड में आ चुका होता।
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खुशियों का विज्ञान-3
एक साइंटिस्ट का दुखद अंत
हँ, बडी मेहनत की गयी है इस शोध के पीछे।
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अभिनय के उस्ताद जानवर
लो भई, अब ऊँट का क्लोन
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