Thursday, January 8, 2009

कौन सा पेशा सबसे अच्छा ?

पेशे तो सभी अच्छे होते हैं, उसमें क्या अच्छा क्या बुरा !
लेकिन एक बात तो है कुछ दिनों के बाद सबको अपना छोड़ दुसरे का ही पेशा अच्छा लगने लगता है। खैर वो तो अपनी-अपनी सोच है... ।

अमेरिका में तो हर बात का सर्वे होता है और हर चीज की रैंकिंग। वैसे एक्चुएरी का प्रोफेशन तो हमेशा से ही सबसे ज्यादा वेतन वाले पेशे में ऊपर रहता आया है। लेकिन ये रैंकिंग केवल वेतन की नहीं है ये सबसे अच्छे (और बुरे) पेशे की है। इस सर्वे में वेतन के अलावा काम का दबाव, परिवेश तथा रोजगार से जुड़े अन्य पहलुओं को ध्यान में रखा गया।

तो सबसे अच्छा कौन?
अरे साफ़ बात है इस ब्लॉग पर है तो क्या होगा? गणित !
आप कहेंगे 'व्हाट? ये भी कोई पेशा है?
अब पेशा नहीं है तो मैं इतना क्यों लट्टू हूँ भाई इस पर, बिना पैसे के भला आजकल कुछ होता है आजकल ! खैर गणित तो सर्वव्यापक है, पेशा तो बस उसकी माया का एक रूप है :-)

ये ख़बर पढ़ी तो सोचा कि आप को भी बता दूँ... (इसी बहाने ठूंठ हो रहे इस ब्लॉग के लिए एक पोस्ट भी मिल गई) अब तो गणित को गंभीरता से लीजिये भाई। सबसे अच्छे पेशों की सूची में शुरू के तीन स्थानों पर तो गणित ही है।

यहाँ दुसरे नंबर पर जो 'एक्चुएरी' है वो क्या होता है?... ये वो गणितज्ञ लोग होते हैं जो मूलतः बीमा और वित्त से जुड़ी कंपनियों के लिए काम करते हैं। पॉलिसी बनाना, प्रीमियम तय करना, रिस्क निकलना... और हाँ ये गणित की ही एक शाखा होती है... एक्चुएरी प्रोफेशन के लिए होने वाली परीक्षाओं/पाठ्यक्रमों में ९०% से ज्यादा गणित ही होता है, सांख्यिकी और नंबरों का खेल होता है बस। अगर आपको एक्चुएरी के गणितज्ञ होने पर शक है तो ये लीजिये एक अधिकारिक परिभाषा: "Mathematician who compiles and uses statistics mainly for insurance and finance purposes."

एक्चुएरी और सांख्यिकी पर कभी भविष्य में पोस्ट आएगी। अभी इस सर्वे का डिटेल आप वाल स्ट्रीट जर्नल पर जाकर देख सकते हैं या फिर सर्वे कराने वाली कंपनी पर ही.

~Abhishek Ojha~

साभार: वाल स्ट्रीट जर्नल.

Sunday, December 14, 2008

अब तक का सबसे बड़ा 'पोंजी स्कीम'

वालस्ट्रीट में फ्रौड़ का इतिहास बड़ा लंबा रहा है. इतनी सारी विफलताएं है कि गिनना मुश्किल है.

हर मामले में कहानी एक जैसी ही होती है... एक घाटे को बचाने के लिए, उसे छिपाने के लिए नए निवेश करते जाओ और तब तक करते जाओ जब तक पानी सर के ऊपर ना निकल जाए. छोटे-मोटे स्कैंडल तो इस धंधे का हिस्सा लगने लगे हैं. पर जब 'अब तक का सबसे बड़ा' टैग लग जाता है तो सच में कुछ बड़ा होता है. और अगर वालस्ट्रीट का अब तक का सबसे बड़ा कुछ है मतलब सच में कुछ बड़ा तो होगा ही !

११ दिसम्बर को नैस्डैक के पूर्व चेयरमैन मैडोफ़ को ५० अरब डॉलर के फ्रौड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया। वालस्ट्रीट की जानी-मानी हस्तियों में से एक मैडोफ़ पर लगा ये आरोप एक अकेले व्यक्ति पर लगा सबसे बड़ा फ्रौड़ का आरोप है। उन्होंने ख़ुद ऍफ़बीआई के सामने ये स्वीकार किया की बर्नार्ड एल मैडोफ़ सेक्युरिटीस् का निवेश एक बड़ा पोंजी स्कीम था ! ये लाईने आप सीधे अंग्रेजी में ही पढिये:

On Dec. 10, 2008, Madoff informed the Senior Employees, in substance, that his investment advisory business was a fraud. Madoff stated that he was "finished," that he had "absolutely nothing," that "it's all just one big lie," and that it was "basically, a giant Ponzi scheme. Madoff stated that the business was insolvent, and that it had been for years. Madoff also stated that he estimated the losses from this fraud to be at least approximately $50 billion.

बर्नार्ड एल मैडोफ़ सेक्युरिटीस् की वेबसाइट पर:

'The Owner's Name is on the Door'

In an era of faceless organizations owned by other equally faceless organizations, Bernard L. Madoff Investment Securities LLC harks back to an earlier era in the financial world: The owner's name is on the door. Clients know that Bernard Madoff has a personal interest in maintaining the unblemished record of value, fair-dealing, and high ethical standards that has always been the firm's hallmark.

Bernard L. Madoff founded the investment firm that bears his name in 1960, soon after leaving law school. His brother, Peter B. Madoff, graduated from law school and joined the firm in 1970. While building the firm into a significant force in the securities industry, they have both been deeply involved in leading the dramatic transformation that has been underway in US securities trading.

और ११ दिसम्बर तक तो सब यही मानते थे... अक्सर यही होता है. वालस्ट्रीट में जो सबसे बड़ा स्टार होता है वही गड़बड़ करता है ! पुरा आप यहाँ जाकर पढ़ सकते हैं.

फिलहाल खबरें आ ही रही हैं... बड़े-बड़े अरबपति और कुछ बड़े बैंक के पैसे (सॉरी डॉलर) साफ़ हो गए. प्रभावित लोगों और संस्थाओं की एक सूची विकिपीडिया पर है... जिसमें अभी और भी नाम आएंगे ! मैडोफ़ को फिलहाल १ करोड़ डॉलर की जमानत पर रिहा कर दिया गया है. मामला चलेगा, जेल भी होगा... वो सब तो ठीक पर ये 'पोंजी स्कीम' क्या है?

पोंजी ऐसे फ्रौड़ निवेश स्कीम को कहते हैं जो बहुत ज्यादा लाभ देता है. पर निवेशकों का लाभ किसी सफल बिजनेस या उत्कृष्ट निवेश से ना होकर दुसरें निवेशकों के पैसे से आता है ! १९२० में चार्ल्स पोंजी के नाम पर इसे पोंजी स्कीम कहा गया. वैसे पोंजी ख़ुद स्कीम के आविष्कारक नहीं थे लेकिन उन्होंने बड़े स्केल पे किया तो उनके नाम पर ही चल निकला. ये घटना सीधे पोंजी स्कीम तो नहीं है पर उसी का एक रूप है. 'जब घाटा होने लगे तो भी झूठ बोलकर निवेशकों से पैसे लेते रहना और ये सोचना की कल को पैसे बन जायेंगे !' यही मुख्य कारण होता है अधिकतर पोंजी स्कीम्स में.

वाल स्ट्रीट जर्नल ने इस पूरे घटना क्रम की कवरेज की है. और अब तक के बड़े पोंजी घटनाओं पर एक ग्राफिक्स भी यहाँ है.

और हाँ ऍफ़बीआई का ओरिजनल कम्प्लेन डोक्युमेंट देखना हो तो यहाँ देख लीजिये.

कम से कम ऐसे निवेश से सावधान रहिएगा. कई करोड़पति-अरबपति पूंजी से पोंजीपति हो गए इस घटना में !

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मुझे तो इसी बात की खुशी है की जो परीक्षा आजकल दे रहा हूँ उसका चौथा पेपर कम्प्लीट कर लिया. उसमें ऐसे ही फ्रौड़ और कंपनियों की विफलताएं पढ़नी होती है... रोचक तो बहुत होती है लेकिन इस साल इतनी ज्यादा केस-स्टडीज हो गई की इन सब को जोड़ दिया जाय तो पढ़ते-पढ़ते... !

अगर वित्त अर्थ से जुड़ी खबरें आप पढ़ते हैं तो मैं रीडर में बहुत कुछ शेयर करता हूँ. आप यहाँ देख सकते हैं.

गणित के साथ ऐसी कहानियो को भी ठेलने का मन था (है) लेकिन आजकल तो गणित भी बंद है !

~Abhishek Ojha~

Friday, November 28, 2008

ईटो कियोशी

पॉल क्रुगमन के ब्लॉग से पता चला की ईटो कियोशी नही रहे। प्रायिकता सिद्धांत (Probability Theory) और आकस्मिकता (Randomness) पर उनका काम जो ईटो कलन (Ito Calculus) के नाम से जाना जाता है. गणितीय वित्त में बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है। याद है जब पहली बार ईटो लेमा (Ito's Lemma) वित्तीय गणित की कक्षा में सुना था... उसके बाद अगली तीन कक्षाओं तक कुछ हवा नहीं लगी थी। ये कोर्स १० वें सेमेस्टर में किया था मतलब ४ साल तक गणित पढने के बाद भी पहली बार में ये सिद्धांत और इसका इस्तेमाल समझ नहीं आया था। फिर ऐसे नाम इतनी जल्दी कोई कैसे भूल सकता है. अब जब कभी साक्षात्कार लेता हूँ और अगर किसी ने वित्तीय गणित के बारे में पढ़ा हो तो उससे एक बार ईटो लेमा और फेनिमन कक (Feynman Kac) में से एक तो पूछ ही लेता हूँ।

१९१५ में जन्में इस जापानी गणितज्ञ ने पिछले दोनों १० नवम्बर को आखिरी साँस ली। २००६ में पहले गॉस पुरस्कार से सम्मानित इस गणितज्ञ द्बारा विकसित सिद्धांत वित्त के अलावा जीव विज्ञान (Biology) और भौतिकशास्त्र (Physics) में भी उपयोगी साबित हुए हैं। पिछले महीने ही उन्हें जापानी आर्डर ऑफ़ कल्चर पुरस्कार से नवाजा गया था। वित्त और खासकर डेरिवेटिव ट्रेडिंग में उनके सिद्धांतों के उपयोग के चलते उन्हें 'Most Famous Japanese in WallStreet' की उपाधि से भी जाना जाता है। स्टोकास्टिक डिफ़ेरेन्शियल समीकरणों (Stochastic Differential Equations) पर उनके काम ब्लैक-शोल्स मॉडल (Black Scholes Model) तक पहुचने में मदद करते हैं। अब जो वित्तीय अभियांत्रिकी (Financial Engineering) का नाम भी सुनते हैं वो ब्लैक-शोल्स तो जानते ही हैं।

एमआईटी के प्रोफेसर डैनियल स्ट्रूक ने कहा: 'सबको पता है की ईटो के काम से कई बातो की जानकारी हुई जो पहले अनजान थी।'

श्रद्धांजली इस महान गणितज्ञ को !

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पाल क्रुगमैन के ब्लॉग पर पढने के बाद सोचा की इस पर कुछ लिखा जाय। कल से पढ़ाई के लिए छुट्टी पर हूँ (हमारी कम्पनी पढने के लिए भी छुट्टी देती है)... और परसों रात से ही टाईम्स नाऊ देख रहा हूँ... मैं तो फिर भी २ घंटे बिजली गई तो ४ घंटे सो गया लेकिन कमांडो बिना सोये लगे हुए हैं... और टाईम्स नाऊ पर अर्नब ! बिना एडवटिज्मेन्ट, कमाल की कवरेज ! टीवी पर न्यूज़ नहीं देखता पर इस बार टीवी बंद करने की इच्छा नहीं हो रही है... दिमाग शून्य हो गया है ! इससे ज्यादा लिखने की क्षमता नहीं.

नरीमन भवन में शायद कार्यवाही ख़त्म हो गई है...

~Abhishek Ojha~