Sunday, March 3, 2013

... do what you must, come what may. (भाग 1)

घर की रंगाई-पुताई करते हुए रंग का कम पड़ जाना आम बात है... फिर एक पुराने किले सी विशाल विशालकाय हवेली में रह रहे रूसी शाही सेना से सेवा निवृत्त जनरल क्रुक्वोस्की  द्वारा  कमरों की दीवारों पर लगाने के लिए खरीदे गए चित्र कम पड़ गये तो ये कोई आश्चर्यजनक घटना नहीं थी। पर ये छोटी सी घटना नींव बनी... यूरोप की पहली महिला डोक्ट्रेट, पहली प्रोफेसर और गणितज्ञ सोनिया कोवलेव्सकी के गणितज्ञ बनने की।

जनरल क्रुक्वोस्की के ससुर गणितज्ञ थे और उन्हें प्रभावित करने के लिए जनरल ने कभी कैलकुलस सीखना चाहा था और उसके लिए चित्राकार कैलकुलस के नोट्स खरीदे थे। जब दीवारों पर लगाने के लिए चित्र कम पड़ गए तो उन्होने एक कमरे में उन अनछुए  नोट्स को ही लगा दिया। ये कमरा था 1850 में जन्मी जनरल की दूसरी बेटी सोनिया का। दस ग्यारह साल की उम्र में उसे वो नोट्स पढ़कर क्रम में सजाना अच्छा लगता था। कैलकुलस से उसका यह पहला परिचय था। सोनिया और उसके भाई बहनों की पढ़ाई घर में ही निजी शिक्षको द्वारा होती थी। उसके एक शिक्षक ने उसके लिखे एक नाटक से प्रभावित होकर कहा था कि सोनिया एक दिन प्रसिद्ध लेखक बनेगी। इन्हीं दिनों सोनिया ने अपने चाचा को बताया कि उसे गणित में रुचि है और वो उसके कमरों में लगे चित्रो में से बहुत कुछ समझती है। उसके चाचा ने कहा कि शिक्षक चाहे जो कहें उसे वही करना चाहिए जो उसका दिल कहता हो। पर अगर उसे गणित पढ़ने का मन है तो उसे समस्याओं से लड़ने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। उन्होने ये भी बताया कि ऐसा करने पर उसे रूस से बाहर जाना पड़ेगा क्योंकि उन दिनों रूस में लड़कियों के लिए उच्च गणित पढ़ना संभव नहीं था। पीटर चाचा ने ये भी कहा कि आत्म संतुष्टि के लिए ऐसे संघर्ष करने में आनंद ही मिलता है ! चाचा के प्रोत्साहन के बाद सोनिया ने त्रिकोणमिती, भौतिकी और जीव विज्ञान की पुस्तकें मंगा कर खुद से पढ़ाई की।

जब सोनिया अठारह साल की हुई तब क्रुक्वोस्की परिवार बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए सेंट पीटर्सबर्ग आ गया। वहाँ जब सोनिया कैलकुलस की कक्षा में गई तो उसे एहसास हुआ कि उन चित्रों को सजाने के क्रम में जो कुछ उसने समझा था वो उन कक्षाओं में पढ़ाये जा रहे कैलकुलस से कहीं ज्यादा था। पर रूस में उन दिनों  विश्वविद्यालयों में लड़कियों को नामांकन नहीं मिलता था। आगे पढ़ने का बस एक ही तरीका था रूस से बाहर जाना। पर उस समय के सामाजिक मान्यताओं के हिसाब से अकेली लड़की बिना किसी पुरुष के विदेश कैसे जाती !... इस समस्या के लिए  सोनिया ने अपनी बड़ी बहन अनिउता को एक झूठी शादी के लिए मनाया। योजना ये थी कि अनिउता व्लादिमीर कोवलेव्सकी से शादी कर जर्मनी जाएगी और सोनिया भी उनके साथ चली जाएगी। और जर्मनी जाने के बाद वो दोनों वहाँ व्लादिमीर से अलग हो जाएंगी। व्लादिमीर इस योजना के लिए तैयार हो गया पर उसने शर्त रखी कि वो शादी सोनिया से करेगा। बड़ी बहन के रहते छोटी की शादी के लिए जनरल क्रुक्वोस्की कभी राजी नहीं होते.

सोनिया ने अपने पिता एक झूठी चिट्ठी लिखी कि मैं व्लादिमीर के साथ भाग रही हूँ... चिट्ठी पढ़ कर जनरल साहब इज्जत बचाने के लिए भागे-भागे व्लादिमीर के घर गए और उन्होने शादी के लिया हाँ कह दिया !   (...जारी)

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~Abhishek Ojha~

(Mathematicians are people, too और थोड़ी इधर उधर से पढ़ी गयी जानकारी पर आधारित)

3 comments:

  1. एक रोचक अनजाना सा प्रसंग मेरे लिए ,,,,

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  2. बहुत ही रोचक प्रसंग..

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  3. अरे वाह! लेकिन अभी तक बाकी कहानी क्यों नहीं आई! इंतजार में हैं भाई!

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