Thursday, February 19, 2009

ओसामा बिन लादेन: मैं देखउँ तुम्ह नाहीं !

कल ये ख़बर पढ़ी तो तुलसी बाबा की ये चौपाई दिमाग में आई:

मैं देखउँ तुम्ह नाहीं गीधहि दृष्टि अपार । बूढ़ भयउँ न त करतेउँ कछुक सहाय तुम्हार ॥

सीआईए और ऍफ़बीआई ओसामा बिन लादेन को ढूंढ़ के थक गई, और इन भूगोल के प्रोफेसरों ने झट से बता दिया की ओसामा कहाँ है ! वैसे ये चौपाई तो बिल्कुल सटीक बैठती है इस मामले पर. प्रोफेसरों ने कह दिया: 'भाई आप तो नहीं देख सकते पर हमारे शोध की दृष्टि अपार है, हमने तो बता दिया ओसामा कहाँ है. हम तो प्रोफेसर बन गए नहीं तो आपकी कुछ और मदद करते'. अब रामायण में संपाति भी कोई ऐसे भौगोलिक गणितीय मॉडल लगाए होंगे तो अपने को नहीं पता. ये बात क्लियर करना तुलसी बाबा भूल गए और सीधे लिख गए 'गीधहि दृष्टि अपार' अब गीध->गिद्ध .... ->शोध तक जा पाता है या नहीं ये तो अजितजी ही बता सकते हैं. खैर जहाँ तक सीआईए के थकने की बात है तो जब तक सीआईए थक नहीं जाती तब तक ये प्रोफेसर बताने वाले भी नहीं थे. आख़िर प्रोफेसर हैं भाई... प्रोफ़ेसर तो काम ही तब करते हैं जब सब कुछ ख़त्म हो जाता है !

अब वित्त में ही देख लीजिये मंदी आ जाने तक अर्थशास्त्री कुछ नहीं कहते. वास्तव में तो अक्सर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्रियों के शोध का पालन करने पर ही तो घोर मंदी आती है. लेकिन मजे की बात ये है कि एक बार घोर मंदी आ जाय तो बस यह बात साबित करने के लिए ही कि मंदी आ गयी है ये सैकड़ों शोध छाप डालते हैं. और उसके बाद तो मंदी के हजारों कारण और उपाय पर छपने वाले सहस्त्रों शोधों में से ही किसी न किसी को नोबेल मिलना तय हो जाता है. मुझे तो आश्चर्य हुआ कि ओसामा को पकड़े जाने के पहले ही ऐसा शोध आ कैसे गया ! अब समय से पहले आ गया है तो काम का शायद ही होगा :-)*

लॉस अन्जेलिस स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गिलेस्पी साहब की टीम ने जीव-जंतुओं के एक से दुसरे जगह जाने की प्रक्रिया के हिसाब से गणितीय मॉडल बनाए और फिर ओसामा बिन लादेन की मूलभूत जरूरतों और उसकी पिछली रहने की ज्ञात जगह को आधार बनाकर ये निष्कर्ष निकाला की ओसामा अभी कहाँ हो सकता है. भविष्य में मॉडल को खुफिया एजेंसियों से प्राप्त सूचना के आधार पर परिष्कृत भी किया जा सकेगा. इस शोध से पता लगा कि पाकिस्तान के पाराचिनार में ओसामा के होने की सम्भावना बनती है. और जब ओसामा के कद की लम्बाई, उसके रहने के आस-पास छुपने की जगह होनी चाहिए, कुछ सुविधायें जैसे बिजली और एक से ज्यादा घर भी होने चाहिए जैसे कारकों को ध्यान में रखा गया तो अंततः उपग्रह से प्राप्त चित्र में तीन घर ऐसे दिखे जिनमें ओसामा के होने की संभावना ज्यादा लगती है.

इस पुरे शोध में इस्तेमाल हुए कुछ सिद्धांत इस प्रकार हैं:

- दुरी क्षय सिद्धांत (Distance Decay Theory) के अनुसार अगर किस जीव के रहने की एक ज्ञात जगह से चला जाय तो उस जीव के पाये जाने की सम्भावना (प्रायिकता) दूरी के साथ कम होती जाती है और उस प्रजाति के जीवो की संख्या चरघातांकीय (Exponential) गति से कम होती जाती है.

- द्वीप जैविकभूगोल (Theory of Island Biogeography) का सिद्धांत कहता है: छोटे और पृथक द्वीपों की तुलना में बड़े और पास के द्वीपों में प्रवास की दर और जीवों का पोषण निम्न विलोपन दर (lower extinction rate) के साथ होता है.

- इनके अलावा ओसामा के जीवन से सम्बंधित कई बातें भी इस्तेमाल की गई जैसे उसकी लम्बाई, वह एकांत पसंद करता है, उसे डायलिसिस के लिए बिजली की जरुरत होती है इत्यादि.

शोध के अनुसार ओसामा जहाँ पहले देखा गया था उससे मिलती-जुलती (प्राकृतिक और सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनितिक) जगह पर ही होगा. क्योंकि अगर वह ‘ज्यादा सेकुलर पाकिस्तानी हिस्से’ की तरफ़ या भारत की तरफ़ बढ़ता है तो उत्तरोतर सांस्कृतिक परिवर्तन होते रहने के कारण उसके पकड़ लिए जाने या मार दिए जाने की संभावना बढ़ जाती है. इसी प्रकार लादेन के किसी बड़े कस्बे में होने की सम्भावना ज्यादा है जहाँ मानव जाति का विलोपन दर कम हो ! और इन सबके साथ उसकी मूलभूत सरंचना और जरूरतों को मिला दिया जाय तो उसके रहने का ठिकाना ढूँढना आसन हो जाता है.

एम्आईटी इंटरनेशनल रिव्यू में छपे पुरे शोध के लिए यहाँ जाएँ. इसी शोधपत्र से ली गई कुछ तस्वीरें:

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और ये हैं वो तीन जगहें जहाँ ओसामा के होने की सम्भावना है: उनकी भौगोलिक स्थिति क्रमशः N 33.901944° E 70.093746°, N 33.911694° E 70.0959° और N 33.888207° E 70.113308° है. तो फिर हमने बता दिया आप निकल लीजिये. अभी भी मौका है और ५ करोड़ डॉलर का इनाम है, बाद में मत कहियेगा कि मैंने बताया ही नहीं :-)

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--- कई बार ओसामा टाइप करते हुए ओबामा टाइप हो गया. एक 'एस' की जगह 'बी' हो जाने से कई बार बिलांडर होते-होते रह गया ! मुझे नींद आ रही है मैं चला सोने… आप कीजिये पैकिंग. और अगर आपको ५ करोड़ डॉलर मिल गए तो मेरे हिस्से का देने मत भूलियेगा !---

~Abhishek Ojha~

*[मैं प्रोफेसर समाज का मजाक नहीं उड़ा रहा. पीएचडी करने का तो अपना मन कुलबुलाता रहता है पर आजकल ऐसे कई कारण इस विचार से दूर कर रहे हैं. खैर वित्त में तो ऐसा ही होता है... हर बड़े मार्केट क्रैश के बाद सबसे ज्यादा शोध होता है].



महीनों बाद अपडेट: अंतत ओसामा इसी परिधि में मिला. और जो महीनों पहले मैंने टाइप करने की बात की वो गलती फोक्स न्यूज़ के साथ-साथ कई औरों ने भी किया :)