tag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post4695459134106134608..comments2023-07-24T18:03:41.660+05:30Comments on कुछ लोग... कुछ बातें... !: बंद भी खुला भी !Abhishek Ojhahttp://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-56944424681523935762010-04-14T03:05:51.723+05:302010-04-14T03:05:51.723+05:30टोपोलॉजी के लेख पढ़ते पढ़ते एक बात दिमाग में आई पत...टोपोलॉजी के लेख पढ़ते पढ़ते एक बात दिमाग में आई पता नहीं कितनी सही है... कुछ सालों पहले यानि कुछ बीस तीस साल पहले लोहे की रॉड को मोड़ने की कोशिश की जा रही थी ताकि टॉय ट्रेन को एक छोटे ट्रेक पर घुमाया जा सके। लेकिन लोहा एक सीमा तक मुड़ने के बाद टूट जाता। अगर पतला लोहा काम में लिया जाता तो वह टॉय ट्रेन के काम नहीं आता। इस पहेली के लिए लोहे के अयस्क से कई तरह के प्रयोग किए गए। इसी दौरान एक वैज्ञानिक के दिमाग में आया कि क्यों न लोहे का पाइप लेकर उसे मोड़ा जाए। वह मुड़ेगा तो लोहे की दो पत्तियों को बीच अंतर कम हो जाएगा और सीधा होगा तो अंतर बढ़ जाएगा। <br />इस तरह मुड़ी हुई ट्रेन का कांसेप्ट चल निकला। बाद में रोलर कोस्टर राइड तक में इसका सफल इस्तेमाल किया गया। रोलर कोस्टर का वाहन जिस ट्रेक पर चलता है वह पाइप का बना होता है न कि लोहे के सरियों का। इस तरह ट्रेन ऊपर और नीचे एक जैसे गोते लगाती हुई वापस उसी बिंदू पर आ जाती है जहां से शुरू हुई थी। <br /><br />यह भी टोपोलॉजी शाखा का बिंदू हो सकता है.. शायद <br /><br />यह मेरा अनुमान है...Astrologer Sidharthhttps://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-53629371532536058752010-02-18T21:03:35.355+05:302010-02-18T21:03:35.355+05:30अच्छी किताब है।अच्छी किताब है।धान के देश मेंhttps://www.blogger.com/profile/18063045202482180146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-62718005530093821252009-11-27T12:25:56.858+05:302009-11-27T12:25:56.858+05:30टोपोलोजी अपने लिए अबूझ पहेली सी रही ..पर तुमने काफ...टोपोलोजी अपने लिए अबूझ पहेली सी रही ..पर तुमने काफी दिलचस्प बना दिया है इसेडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-55473143791566553152009-11-26T22:23:23.003+05:302009-11-26T22:23:23.003+05:30कभी समझने की कोशिश की थी टोपॉलाजी..हाई इनर्जी फ़िजि...कभी समझने की कोशिश की थी टोपॉलाजी..हाई इनर्जी फ़िजिक्स की बैटरी भी इसी मे है..मगर जितना दिमाग लगाया..उतना कफ़्यूजन भी बढ़ता गया..हाइजेन्बर्ग-प्रिन्सिपल की तरह..<br />हाँ जार्ज गैमो ने अपनी पापुलर-साइन्स विषयक किताबों मे इसका बड़ा अनुप्रयोगात्मक और प्रभावी तरीके से जिकर किया है...<br />और मानवीय सोच टोपोलोजी पे चले या न चले अपना मानवीय व्यवहार तो टीपोलॉजी पर ही चलता है..और बड़ी स्योर-शॉट भी है यह आर्ट..<br />मस्त लिखते हैं आप..अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-51089294854316461072009-11-26T19:40:47.502+05:302009-11-26T19:40:47.502+05:30लोग कहते हैं कि टोपॉलोजिस्ट वह व्यक्ति है जिसे कार...लोग कहते हैं कि टोपॉलोजिस्ट वह व्यक्ति है जिसे कार के पहिये और डोनट में फर्क नहीं लगता:-)<br />ऐसे चार रंगों की मुश्किल भी इसी में आती है।उन्मुक्तhttp://esnips.com/web/unmuktMusicFiles/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-83067756077577839332009-11-25T20:17:34.471+05:302009-11-25T20:17:34.471+05:30वैसे टोपोलोजी अजूबा ही है [बस समझ में आना चाहिए, म...<b>वैसे टोपोलोजी अजूबा ही है [बस समझ में आना चाहिए, मुझे बहुत ज्यादा नहीं आता :) </b><br />------------<br />मैं कहूं तो यह कि वैसे टोपोलोजी अजूबा ही है [बस समझ में आना चाहिए, मुझे बिल्कुल नहीं आता :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-58858547735296350352009-11-25T17:38:35.200+05:302009-11-25T17:38:35.200+05:30माफ कीजिएगा, मेरी गणित शुरू से कमजोर रही है, इसलिए...माफ कीजिएगा, मेरी गणित शुरू से कमजोर रही है, इसलिए मैं चाह कर भी आपकी बातें समझ नहीं पाई। वैसे इतना तो मैं कह सकती हूं कि आपने लिखा बहुत ही टोपोलोजी टाइप है।<br /><br /><br />------------------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">क्या है कोई पहेली को बूझने वाला?</a><br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">पढ़े-लिखे भी होते हैं अंधविश्वास का शिकार।</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-82452510635588050572009-11-24T14:26:40.813+05:302009-11-24T14:26:40.813+05:30टोपोलोजी भाई मुझे तो ऎसा लग रहा है जेसे आप कह रहे ...टोपोलोजी भाई मुझे तो ऎसा लग रहा है जेसे आप कह रहे हो... टोपा लो जी, भाई हम ने बडी मुश्किल से जान छुडाई इस गंणित से, अब इसे रहने दो, <br />लेख बहुत अच्छा लगा, लेकिन हमरी समझ से बाहरराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-28224187921271423922009-11-24T13:39:53.032+05:302009-11-24T13:39:53.032+05:30‘टोपोलॉजी’ यह किसी अनाड़ी को टोपी पहनाने का विज्ञा...‘टोपोलॉजी’ यह किसी अनाड़ी को टोपी पहनाने का विज्ञान है क्या?<br /><br />हम बस इतना समझ पाये कि यह कोई बहुत अच्छी चीज है। बताने के लिए धन्यवाद।:)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-34220910028653080042009-11-24T12:09:44.976+05:302009-11-24T12:09:44.976+05:30अच्छा लगा आपने फिर गणित पर लिखने का मन बना लिया .....अच्छा लगा आपने फिर गणित पर लिखने का मन बना लिया ...कोई शर्त नही की आप नियमित रहें ..पर विषयों में विविधता आनी ही चाहिए यह जरुरी भी है....जब समय मिले लिखें.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-61188759837967583382009-11-24T08:18:07.358+05:302009-11-24T08:18:07.358+05:30क्या सुडोकू पहेलियाँ भी टोपोलोजी ही हैं?क्या सुडोकू पहेलियाँ भी टोपोलोजी ही हैं?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-82743100181975226832009-11-24T07:18:01.779+05:302009-11-24T07:18:01.779+05:30अच्छा लगा।
@ काश जिंदगी और मानवीय सोच भी गणित की त...अच्छा लगा।<br />@ काश जिंदगी और मानवीय सोच भी गणित की तरह होते और उन्हें एक सूत्र में पिरोया जा सकता ! टोपोलोजी जैसे गणित ज्यादा पढने वाले शायद यही सब सोच कर फिलोस्फर (पागल?) हो जाते हैं.<br /><br />शायद जिन्दगी और गणित को जोड़ कर देखना ही ठीक नहीं है। कितने लोग फिलॉस्फराना अंदाज में कहते फिरते हैं - जिन्दगी का गणित ही गलत हो गया। भाई बिगाड़ा आप ने अब गणित को क्यों सामने ला रहे हो?<br />अगली कड़ी जल्दी आनी चाहिए।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-74836990543938885892009-11-24T06:23:22.623+05:302009-11-24T06:23:22.623+05:30टोपोलोजी शब्द मेरे लिए भी काफी असहज रहा है जब तब ज...टोपोलोजी शब्द मेरे लिए भी काफी असहज रहा है जब तब जेहन में उमड़ता घुमड़ता है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-83281945038604371752009-11-24T05:46:40.434+05:302009-11-24T05:46:40.434+05:30जारी रहो और यह सूत्र धर लो आज की दुनिया का:
अब इं...जारी रहो और यह सूत्र धर लो आज की दुनिया का:<br /><br />अब इंसान आज के समय पर ईमानदारी से बेईमान हो सकता.<br /><br />:)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com