tag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post3972662216907437781..comments2023-07-24T18:03:41.660+05:30Comments on कुछ लोग... कुछ बातें... !: गणित से भय: यूरोप की देन ?Abhishek Ojhahttp://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-80474050844764827772008-11-27T15:39:00.000+05:302008-11-27T15:39:00.000+05:30ब्लॉगरों के आपसी सहयोग से निर्मित अद्भुत कृति. :)ब्लॉगरों के आपसी सहयोग से निर्मित अद्भुत कृति. :)Rajeev Nandan Dwivedi kahdojihttps://www.blogger.com/profile/13483194695860448024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-57651589931055655462008-11-27T14:47:00.000+05:302008-11-27T14:47:00.000+05:30गणित के कई निति नियम भारतीयों की देन हैं यह तो पता...गणित के कई निति नियम भारतीयों की देन हैं यह तो पता था ,पर आपने और भी अधिक अच्छी ,महत्वपूर्ण रोचक जानकारी दी हैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद और बधाईRADHIKAhttps://www.blogger.com/profile/00417975651003884913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-22853645905543986692008-11-25T21:52:00.000+05:302008-11-25T21:52:00.000+05:30सच कहा जाए तो व्यवहारिक गणित और शुद्ध गणित के बीच ...सच कहा जाए तो व्यवहारिक गणित और शुद्ध गणित के बीच विभाजन रेखा खींचना मुमकिन नहीं. शुद्ध गणित तो ऐसी जगहों पर इस्तेमाल हो रहा है जहाँ कभी गणित का दूर दूर तक पता नहीं था. कौन कह सकता था कि कभी बीमारियों का गणितीय मॉडल बनाया जाएगा और उसमें differential equations और probability का इस्तेमाल होगा.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-42649097863758952012008-11-23T15:21:00.000+05:302008-11-23T15:21:00.000+05:30हम गणित से नहीं डरेंगे क्योंकि ये यूरोपीय विचारधार...हम गणित से नहीं डरेंगे क्योंकि ये यूरोपीय विचारधारा है<BR/><BR/><BR/>गणित को लेकर भय का माहौल बचपन से ही बना दिया जाता है और बच्चे इससे दूर भागने लगते हैं। गणित के कई शिक्षक भी इससे ग्रस्त रहते हैं।प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-2520585492595246012008-11-22T18:54:00.000+05:302008-11-22T18:54:00.000+05:30अभिषेक जी ,प्रेमचंद ने कहीं लिखा है कि उन्हें गणित...अभिषेक जी ,प्रेमचंद ने कहीं लिखा है कि उन्हें गणित हिमालय की ऊंचाई सी लगती है -मुझे तो यह सागर की गहराई की मानिंद लगती है -शायद यह इसलिए है कि बचपन में इसे पढाने के टीचर अच्छे नही मिले ! अच्छा लिखा है आपने !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-52654576287982047152008-11-21T14:49:00.000+05:302008-11-21T14:49:00.000+05:30मेरा भी यह प्रिय विषय था । आज तक दुख है कि कॉलेज म...मेरा भी यह प्रिय विषय था । आज तक दुख है कि कॉलेज में गणित क्यों नहीं लिया ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-80390710360709635292008-11-21T09:03:00.000+05:302008-11-21T09:03:00.000+05:30गणित से भय कैसा, ये तो हमारा सबसे प्रिय विषय होता ...गणित से भय कैसा, ये तो हमारा सबसे प्रिय विषय होता था। सबसे ज्यादा स्कोर करने की जुगत तो यहीं लगती थी। रोचक जानकारी परोसी है अभिषेक।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-39353791117307167052008-11-21T07:57:00.000+05:302008-11-21T07:57:00.000+05:30बहुत अच्छी। और रोचक जानकारी। धन्यवाद।बहुत अच्छी। और रोचक जानकारी। धन्यवाद।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-49400742772796298152008-11-21T00:45:00.000+05:302008-11-21T00:45:00.000+05:30द्विवेदी जी ने 'लीलावती 'पढ़ तो ली ही बहुत रोचक ...द्विवेदी जी ने 'लीलावती 'पढ़ तो ली ही बहुत रोचक है ,जिस समय हम लोग प्राथमिक कक्षाओं में थे तो रूपया आना पैसा चला करता था ,तोला माशा रत्ती सूक्ष्म तोल के मानक थे ,पाई का चलन लगभग बंद हो चुका था " सेंटीमल सिस्टम ऑफ़ करेंसी १९५७ में लागू हुआ ,उस समय तक अंक गणित की एक बहु पुरानी पुस्तक " चक्रवर्ती ' नाम से भी अभ्यास के लिए प्रयोग में करते थे | अंग्रेजों के ज़माने की थी अतः पौंड शिलिंग पेंस [ब्रिटिश करंसी इकाई ] के प्रश्न भी थे ,|भारत में तो गणित कहावतों में भरा पड़ा है ,दिन दूनी रात चौगुनी , नौदो ग्यारह , तीन तेरह , तिया पांचा ,३६ का आंकडा ,आँखें चार होना ,निन्यानबे का फेर ,सभी में गणित का कोई न कोई सूत्र प्रर्दशित किया गया है "| यानि की जिनके जीवन में गणित इस तरह से पेवस्त हो उस समाज के लोग क्यो कर गणित से डरेंगे ? अभिषेक ओझा अपना दूसरा नुसक्खा कब प्रस्तुत कर रहे हैं ? पहला 'ब्लोगिंग छुडाना वे प्रेसक्रीब कर ही चुके हैं ही |'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा ::https://www.blogger.com/profile/02846750696928632422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-10477879748028166882008-11-20T23:35:00.000+05:302008-11-20T23:35:00.000+05:30ओझा भाई, सब्जी वाला भी बिलकुल सही हिसाब लगाता है,प...ओझा भाई, सब्जी वाला भी बिलकुल सही हिसाब लगाता है,पता नही वो स्कुल गया है या नही,युरोप वालो के बारे आप ने सही लिखा है.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-73142998494822284342008-11-20T19:25:00.000+05:302008-11-20T19:25:00.000+05:30मुझे दादा जी कहा करते थे क्या सीखते हो तुम? मुझ से...मुझे दादा जी कहा करते थे क्या सीखते हो तुम? मुझ से लीलावती क्यों नहीं पढ़ते। पहले तो समझ ही नहीं आया कि लीलावती क्या है? बाद में पता लगा वह गणित की पुस्तक है। <BR/>वकालत में दस बरस गुजरने के बाद एक दिन लीलावती हाथ लगी तो बैठ कर उस के सारे सवाल कर डाले। उन का उपयोग शायद ही कभी हो। लेकिन वे सवाल हल कर आनंद बहुत आया। कभी मन होता है कि लीलावती का हिन्दी अनुवाद कर नैट पर डाला जाए, जिस में पुराने मापों को आधुनिक से बदल दिया जाए। <BR/>वैसे गणित से डरने की जरूरत नहीं। हमारे यहाँ गांव के बन्जारे जो किसी स्कूल में नहीं पढ़े, जिन्हें लिखना और पढ़ना नहीं आता उन की मौखिक गणित को देख कर दांतो तले उंगली दबानी पढ़ती है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-92124831312740973502008-11-20T15:36:00.000+05:302008-11-20T15:36:00.000+05:30भाई ओझाजी गणित से अपनी नही पटरी बैठती ! गणित की या...भाई ओझाजी गणित से अपनी नही पटरी बैठती ! गणित की याद आते ही मास्साब का डंडा और हमारी हड्डियों का जो युद्ध शुरू होता था वो आज भी याद है ! ना भई , इब आप जचे वो मेरे से करवा लो पर गणित तो नही सीखूंगा ! अपन तो अंगूठे छाप ही अच्छे ! :)ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-12296424843319052912008-11-20T12:49:00.000+05:302008-11-20T12:49:00.000+05:30गणित में रुचि बढ़ाने के यत्न होने चाहियें। मेरे अका...गणित में रुचि बढ़ाने के यत्न होने चाहियें। मेरे अकादमिक संस्थान में बहुधा सप्ताहान्त में मेथमेटिकल क्विज होती थी - और प्रतिस्पर्धा अच्छी हुआ करती थी।<BR/>जैसे जन्तुओं पर चित्र दिखा ब्लॉग पर पहेली वाली पोस्ट लिखने का चलन हो गया है, वैसे ही सरल गणितीय पहेली की पोस्टें भी बनाई जा सकती हैं - जिसे शुरुआत में गणित से एलर्जी रखने वाला भी हल कर ले!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-15169864071198341012008-11-20T11:59:00.000+05:302008-11-20T11:59:00.000+05:30बहुत रोचक और उत्साहवर्धक जानकारी है ये। भारतीय ए...बहुत रोचक और उत्साहवर्धक जानकारी है ये। भारतीय एवं पाश्चात्य गणित के दर्शन में बारीक अन्तर भी बहुत अर्थपूर्ण है।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-73276059049153986382008-11-20T09:14:00.000+05:302008-11-20T09:14:00.000+05:30तो आपने लेख लिख ही दिया और आख़िर में इस में मेरे द...तो आपने लेख लिख ही दिया और आख़िर में इस में मेरे दिल की बात आ ही गई .आपके इस बढ़िया लेख में कि "हम गणित से नहीं डरेंगे क्योंकि ये यूरोपीय विचारधारा है" ..वैसे आप जैसे मास्टर जी होते तो हम बचपन से ही न डरते इस विषय से ..और न मार खाते किसी प्रमेय को ले कर :) <BR/><BR/>नहीं अनूप जी मैं इस विषय पर सिर्फ़ अपने गणित न समझने के मजेदार किस्से ही लिख सकती हूँ ..:) मैंने सिर्फ़ अभिषेक को यह अखबार की कंटिग पहुँचा दी थी कि वह अपने विश्लेषण से इस विषय पर लिखे .और उन्होंने बहुत अच्छे तरीके से अपनी बात समझा भी दी है .:)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-40098758395352034072008-11-20T07:17:00.000+05:302008-11-20T07:17:00.000+05:30आप ने अच्छी तरह समझाया पर पास्चात्त्य विचारधारा को...आप ने अच्छी तरह समझाया<BR/> पर <BR/>पास्चात्त्य विचारधारा को <BR/>नहीँ अपनाने के बावजूद,<BR/> हमेँ गणित से भय है !:) <BR/>अगर आप हमेँ भयमुक्त होने का उपाय सीखला दो तब ये एक करिश्मा होगा ! <BR/><BR/>स्नेह,<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2526480447870762874.post-58853215857196399502008-11-20T06:42:00.000+05:302008-11-20T06:42:00.000+05:30अच्छा है। रंजना जी के लेख का लिंक नहीं मिलता। क्या...अच्छा है। रंजना जी के लेख का लिंक नहीं मिलता। क्या उन्होंने भी इस विषय पर कोई लेख लिखा था?Anonymousnoreply@blogger.com