Thursday, July 12, 2012

सुनना ड्रम की आकृति को

वो  गाना तो आपने सुना ही होगा जिसमें आँखों की महकती खुशबू को देखना और फिर हाथ से छूना जैसी बात होती है. किसी चीज के आकर प्रकार को सुनना भी कुछ ऐसी ही बात लगती है.

सवाल कुछ ऐसा है कि जो भी ध्वनि हम अपने कानों से सुनते हैं क्या हम उससे, आवाज के स्रोत का आकर-प्रकार पता लगा सकते हैं?  मान लीजिये हम अपनी आँखें बंद कर लें और किसी से आस पास रखी चीजों को बजाने के लिए कहें. तो क्या हम बता सकते हैं कि आवाज किस चीज से आ रही है ! शायद हाँ. पर हमने उन चीजों को देखा होता है !

पर अगर अनजान चीजों को बजाएं तो भी क्या हमें पता चल सकता है?

क्या आकृति के हिसाब से उनसे निकलने वाली आवाज अद्वितीय होती है. ? अगर हाँ. तो आवाज सुनकर वस्तुओं की आकृति भी बताई जा सकती है. !

गणितीय रूप में इस सवाल को गणितज्ञ मार्क कैक ने १९६६ में लिखा. क्या आवाज की तरंग/स्पेक्ट्रम की व्याख्या कर हम उन ड्रमों की आकृति बता सकते हैं जिनसे वो आवाज आ रही है !  अर्थात क्या ध्वनि तरंगों की व्याख्या से वस्तुओं की ज्यामिति का पता लगाया जा सकता है?
साधारण शब्दों में कहें तो उन्होंने एक फलन (फंक्शन) परिभाषित किया वस्तुओं की ज्यामिति से ध्वनि तरंगों में. और फिर सवाल ये हुआ कि क्या एक ही ध्वनि तरंग के लिए अलग-अलग ज्यामिति के हल हो सकते हैं ?

गणितीय हल से निकला कि हाँ ऐसा संभव है. अर्थात एक ही ध्वनि तरंग के लिए अलग अलग ज्यामिति संभव है ! पहला हल सोलह डाइमेंशन की ज्यामिति का था. पर... बाद में बाकी डाइमेंशन के हल भी मिल गए. और ये पता चला कि किसी भी एक ध्वनि तरंग के लिए वस्तुओं की ज्यामिति अद्वितीय नहीं होती. अर्थात विभिन्न आकर की वस्तुओं से एक जैसी ध्वनि तरंगे निकल सकती हैं.

इस अध्ययन के क्रम में ये भी पता चला कि ड्रम की पूर्ण आकृति तो नहीं पर थोडा-बहुत पता तो लगाया जा ही सकता है. !

अगर आपको गणित आती हो तो गणितीय रूप और मार्क कैक का असली पेपर आप यहाँ देख सकते हैं.

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~Abhishek Ojha~

7 comments:

  1. असली पेपर तो दिखा नहीं। फ़लन भी कुछ-कुछ फ़ंक्शन की ही तरह होता है। कहीं-कहीं फ़ट जाता है। :)

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    1. Asali paper ka link kaam to kar raha hai ?. Abhi dekha maine pdf hai.
      Baaki function to fatate hi rahte hain.:)

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  2. Abhishek,
    क्या बात है, अपनी रिसर्च के दौरान इस पेपर को पहले पढ़ चुका हूँ इसलिए टाइटल देखते ही चौंक सा गया, अब इसको फिर से एक बार पढेंगे :)

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  3. तरंगों को पकड़कर स्रोत के गुणों के बारे में जानना, काश हर बोलने वाले पर भी यह लागू हो जाये।

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  4. Eh! Maths should always be loved as much as you do! High five!

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  5. गणित तो नही आती पर ध्वनितरंगो को सुन कर उनकी ज्यामितीय आकृति बना सकने वाली बात पसंद आई । काश दशरथ जी को ये कला आती होती ।

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  6. कई प्रकार के रहस्य गणित में छिपे हैं.....

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