Wednesday, December 23, 2009

प्रायोगिक गणित के एक संस्थान की कल्पना

 

(एक प्रांत के मुख्यमंत्री को एक अवकाश ग्रहण कर रहे प्रोफेसर द्वारा एक प्रायोगिक गणित और अर्थशास्त्र के संस्थान के लिए दिये जाने वाले प्रेजेंटेशन के लिए लिखे गए एक छोटे से स्लाइडनुमा लेख का अनुवाद)

आज प्रायोगिक और परिकलनात्मक गणित (Applied and Computational Mathematics) सारे शोध के विषयों में से सबसे अधिक अंतर्विषयकrubik_s_cube (interdisciplinary) है. इसमें दैनिक जीवन और वास्तविक दुनिया से जुड़े समस्याओं पर मॉडलिंग, एनालिसिस, एल्गॉरिथ्म विकास और सिमुलेशन शामिल है. केवल विज्ञान और अभियांत्रिकी में ही नहीं बल्कि मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान में भी इन गणितीय तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है. ऐसा कहा जाता है कि गणित का उपयोग सभी संभव क्षेत्रों में होता है अगर कहीं नहीं हो रहा तो बस कुछ दिनों में ही होने लगेगा. गणित बाकी क्षेत्रों से (में) इस कदर जुड़ा (उलझा) हुआ है कि प्रायोगिक गणित का एक स्वतंत्र पूर्ण विभाग बनाना लगभग असंभव है. एक आदर्श प्रायोगिक गणित का संस्थान ऐसा होगा जो विश्व भर में उद्योगों, सरकारी विभागों और कारोबार से जुड़े वैज्ञानिकों, गणितज्ञों और अभियंताओं के एक बृहत समूह के साथ मिल कर एक दूसरे के लिए काम करे. ये संबंध रोचक और उपयोगी गणित के लिए प्रेरणा का काम करेंगे जो विज्ञान, अभियांत्रिकी और समाज को नयी ऊँचाई पर ले जाने में सक्षम होगा.

एक आदर्श गणित के विभाग में संवादात्मक अंतर्विभागीय शोध (interactive interdepartmental research) के वातावरण को बनाने की क्षमता होनी चाहिए जिससे छात्र अपनी रुचि के हिसाब से विज्ञान, खगोलशास्त्र, वित्त, मानविकी और अन्य विषयों का अन्वेषण कर सकें. यह गणित और उसके प्रयोगों के प्रति प्रेम रखने वालों के लिए एक प्लैटफ़ार्म की तरह होना चाहिए. इन सब के साथ विभाग के पास पूर्वस्नातक छात्रों को वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए उपयुकत गणितीय साधन, पद्धति और रणनीति सिखाने और अभ्यास कराने की क्षमता होनी चाहिए.

गणित विवेचनात्मक तर्क और लीक से हटकर सोचने की क्षमता (critical reasoning and out of box thinking) प्रदान करता है जिसे लगभग हर क्षेत्र में प्रयोग किया जा सकता है. एक पाठ्यक्रम की संरचना ऐसी होनी चाहिए जो शुद्ध गणित में छात्रों को बुनियादी रूप से मजबूत कर सके और पाठ्यक्रम में ऐसे समावेश होने चाहिए जिससे ये सीखा जा सकें कि गणित को कैसे वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने में उपयोग किया जा सकता है. पाठ्यक्रम के अंत में इन सीखे गए तरीकों के इस्तेमाल के लिए मौके उपलब्ध होने चाहिए जिसमें छात्र अपनी रुचि के हिसाब से चुने हुए क्षेत्र में विशिष्टता प्राप्त कर सके. विशिष्टता के इन विषयों की सूची बहुत लंबी होनी चाहिए जो विभाग में उपलब्ध आधारभूत सुविधाओं और अध्यापक मण्डली पर निर्भर होगा. मोटे तौर पर इसे तीन वर्ग में बांटा जा सकता है सांख्यिकी, शुद्ध एवं प्रायोगिक गणित, सैद्धांतिक संगणना. इनके प्रयोगों की सूची लंबी है जिसे सूचीबद्ध करना संभव नहीं दिखता.

गणित ने लड़ाइयाँ जीती है. गणित की एक शाखा का नाम ‘ऑपरेशनस रिसर्च’ ही इसीलिये पड़ा क्योंकि उसका विकास द्वितीय विश्वयुद्ध के समय युद्ध रणनीति बनाते समय हुआ. वालस्ट्रीट गणितीय फोर्मूलों पर चलता है, किसी भी नयी दवाई को बाजार में लाना हो या मौसम की भविष्यवाणी करनी हो या फिर नए मौद्रिक नीति की घोषणा करनी हो... गणित के प्रयोगों की सूची कभी नहीं ख़त्म होने वाली.

देश में मौजूदा गणित के विभागों में से कोई भी प्रायोगिक गणित के प्रति ये रवैया नहीं अपनाता. अमेरिका में सांख्यिकीविद् और बीमांकिक श्रेष्ठ नौकरियां मानी जाती है. कुछ पद जहाँ गणितज्ञों की जरूरत होती है:

  • वित्त अभियंता
  • सैद्धांतिक भौतिकशास्त्र
  • परफॉर्मेंस अभियंता
  • सरकारी सांख्यिकीविद्
  • गणितीय परामर्शदाता (जेट इंजिन डिज़ाइन, एयरक्राफ्ट डिज़ाइन, नेटवर्क डिज़ाइन इत्यादि)
  • बीमांकिक
  • बाजार विश्लेषक
  • सुरक्षा विश्लेषक
  • चिकित्सा संबंधी सांख्यिकीविद्
  • सांख्यिकी परामर्शदाता (दवाई संबंधित शोध, कृषि शोध, सामाजिक मुद्दों पर शोध, नीति निर्माण इत्यादि)
  • ऐरोड्यनामिक्स
  • द्रव्य अभियांत्रिकी (फ्लुइड मेकेनिक्स)
  • अर्थशास्त्रीक मॉडलिंग
  • ओप्टीमाइज़ेशन परामर्शदाता
  • मौसम भविष्यवाणी
  • कलनात्मक जीवविज्ञान
  • एनिमेशन और फिल्म निर्माण
  • ...

हमारे देश में एक ऐसे विभाग की जरूरत है जो युवाओं का इन क्षेत्रों से परिचय करा सके. एक ऐसा विभाग जो विश्लेषणतामक निर्णय लेने वाले युवकों को तैयार कर सके. ऐसे विभाग की अध्यापक मण्डली और शोध समूह कुछ ऐसे होने चाहिए:

  • वित्तीय अभियांत्रिकी
  • एकोनोमेट्रिक्स
  • प्रायोगिक सांख्यिकी और प्रायिक कलन (Stochastic Calculus)
  • कोंबिनटोरिक्स (Combinatorics)
  • कम्प्यूटेशनल मोलेक्युलर बयोलॉजी
  • प्रायोगिक अभियांत्रिक गणित/प्रायोगिक ओप्टीमाइज़ेशन
  • ऑपरेशनस रिसर्च
  • सैद्धांतिक कम्प्युटर साइन्स/अलगोरिथ्म्स
  • क्वांटम कम्प्यूटिंग
  • सैद्धांतिक भौतिकी/कंडेंसड मैटर फ़िज़िक्स
  • फ्लुइड ड्यनामिक्स
  • क्रिप्टोलोजी
  • गेम थियोरी
  • इत्यादी...

~Abhishek Ojha~