Sunday, December 14, 2008

अब तक का सबसे बड़ा 'पोंजी स्कीम'

वालस्ट्रीट में फ्रौड़ का इतिहास बड़ा लंबा रहा है. इतनी सारी विफलताएं है कि गिनना मुश्किल है.

हर मामले में कहानी एक जैसी ही होती है... एक घाटे को बचाने के लिए, उसे छिपाने के लिए नए निवेश करते जाओ और तब तक करते जाओ जब तक पानी सर के ऊपर ना निकल जाए. छोटे-मोटे स्कैंडल तो इस धंधे का हिस्सा लगने लगे हैं. पर जब 'अब तक का सबसे बड़ा' टैग लग जाता है तो सच में कुछ बड़ा होता है. और अगर वालस्ट्रीट का अब तक का सबसे बड़ा कुछ है मतलब सच में कुछ बड़ा तो होगा ही !

११ दिसम्बर को नैस्डैक के पूर्व चेयरमैन मैडोफ़ को ५० अरब डॉलर के फ्रौड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया। वालस्ट्रीट की जानी-मानी हस्तियों में से एक मैडोफ़ पर लगा ये आरोप एक अकेले व्यक्ति पर लगा सबसे बड़ा फ्रौड़ का आरोप है। उन्होंने ख़ुद ऍफ़बीआई के सामने ये स्वीकार किया की बर्नार्ड एल मैडोफ़ सेक्युरिटीस् का निवेश एक बड़ा पोंजी स्कीम था ! ये लाईने आप सीधे अंग्रेजी में ही पढिये:

On Dec. 10, 2008, Madoff informed the Senior Employees, in substance, that his investment advisory business was a fraud. Madoff stated that he was "finished," that he had "absolutely nothing," that "it's all just one big lie," and that it was "basically, a giant Ponzi scheme. Madoff stated that the business was insolvent, and that it had been for years. Madoff also stated that he estimated the losses from this fraud to be at least approximately $50 billion.

बर्नार्ड एल मैडोफ़ सेक्युरिटीस् की वेबसाइट पर:

'The Owner's Name is on the Door'

In an era of faceless organizations owned by other equally faceless organizations, Bernard L. Madoff Investment Securities LLC harks back to an earlier era in the financial world: The owner's name is on the door. Clients know that Bernard Madoff has a personal interest in maintaining the unblemished record of value, fair-dealing, and high ethical standards that has always been the firm's hallmark.

Bernard L. Madoff founded the investment firm that bears his name in 1960, soon after leaving law school. His brother, Peter B. Madoff, graduated from law school and joined the firm in 1970. While building the firm into a significant force in the securities industry, they have both been deeply involved in leading the dramatic transformation that has been underway in US securities trading.

और ११ दिसम्बर तक तो सब यही मानते थे... अक्सर यही होता है. वालस्ट्रीट में जो सबसे बड़ा स्टार होता है वही गड़बड़ करता है ! पुरा आप यहाँ जाकर पढ़ सकते हैं.

फिलहाल खबरें आ ही रही हैं... बड़े-बड़े अरबपति और कुछ बड़े बैंक के पैसे (सॉरी डॉलर) साफ़ हो गए. प्रभावित लोगों और संस्थाओं की एक सूची विकिपीडिया पर है... जिसमें अभी और भी नाम आएंगे ! मैडोफ़ को फिलहाल १ करोड़ डॉलर की जमानत पर रिहा कर दिया गया है. मामला चलेगा, जेल भी होगा... वो सब तो ठीक पर ये 'पोंजी स्कीम' क्या है?

पोंजी ऐसे फ्रौड़ निवेश स्कीम को कहते हैं जो बहुत ज्यादा लाभ देता है. पर निवेशकों का लाभ किसी सफल बिजनेस या उत्कृष्ट निवेश से ना होकर दुसरें निवेशकों के पैसे से आता है ! १९२० में चार्ल्स पोंजी के नाम पर इसे पोंजी स्कीम कहा गया. वैसे पोंजी ख़ुद स्कीम के आविष्कारक नहीं थे लेकिन उन्होंने बड़े स्केल पे किया तो उनके नाम पर ही चल निकला. ये घटना सीधे पोंजी स्कीम तो नहीं है पर उसी का एक रूप है. 'जब घाटा होने लगे तो भी झूठ बोलकर निवेशकों से पैसे लेते रहना और ये सोचना की कल को पैसे बन जायेंगे !' यही मुख्य कारण होता है अधिकतर पोंजी स्कीम्स में.

वाल स्ट्रीट जर्नल ने इस पूरे घटना क्रम की कवरेज की है. और अब तक के बड़े पोंजी घटनाओं पर एक ग्राफिक्स भी यहाँ है.

और हाँ ऍफ़बीआई का ओरिजनल कम्प्लेन डोक्युमेंट देखना हो तो यहाँ देख लीजिये.

कम से कम ऐसे निवेश से सावधान रहिएगा. कई करोड़पति-अरबपति पूंजी से पोंजीपति हो गए इस घटना में !

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मुझे तो इसी बात की खुशी है की जो परीक्षा आजकल दे रहा हूँ उसका चौथा पेपर कम्प्लीट कर लिया. उसमें ऐसे ही फ्रौड़ और कंपनियों की विफलताएं पढ़नी होती है... रोचक तो बहुत होती है लेकिन इस साल इतनी ज्यादा केस-स्टडीज हो गई की इन सब को जोड़ दिया जाय तो पढ़ते-पढ़ते... !

अगर वित्त अर्थ से जुड़ी खबरें आप पढ़ते हैं तो मैं रीडर में बहुत कुछ शेयर करता हूँ. आप यहाँ देख सकते हैं.

गणित के साथ ऐसी कहानियो को भी ठेलने का मन था (है) लेकिन आजकल तो गणित भी बंद है !

~Abhishek Ojha~